गाज़ीपुर। उत्तरायण सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश किए। गंगा नदी के घाटों पर भक्तगण ब्रह्ममुहूर्त से ही स्नान -दान करने लगे। पतंगबाजी कर लोगों ने सूर्य देव के प्रति आभार जताया। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन को मकर संक्रांति पर्व के रुप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगीरथ जी के पीछे- पीछे चलती हुई गंगा नदी कपिल मुनि के आश्रम होते हुए सागर में जाकर मिली थी। इस वजह से इस दिन को शुभ मानकर लोग गंगा स्नान कर दान देते है। इसे नई फसल की शुरुआत भी माना जाता है। मौनी बाबा के महंत सत्यानंद यति ने बताया कि पवित्र नदी में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अन्न का दान करके तिल, गुड़, रेवड़ी व खिचड़ी का सेवन करना चाहिए। मकर संक्रांति को पोंगल, माघी, उत्तरायणी, खिचड़ी के नाम से संबोधित किया जाता है। आसमान में पतंगबाजी कर लोग सूर्य देवता का आभार भी जताते है। कुछ प्रदेशों में महिलाएं नए वस्त्र धारण कर प्रियजनों संग मिलकर इस त्यौहार को मनाती है।
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