गाजीपुर। अचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या से संबद्ध कृषि विज्ञान केंद्र आंकुशपुर के उद्यान वैज्ञानिक डॉ शशांक सिंह ने बताया कि अक्सर बागबान आम के फसल की तोड़ाई कर उत्पाद बेच कर आम की बगिया को भूल जाते हैं कि उस के लिए भी कुछ करना है या नहीं, जिस ने मीठे फल दिए. याद रखें, फल की तुड़ाई के बाद से ले कर मंजर के आने तक क्या क्या किया जाना चाहिए, जिससे आगामी वर्षों में अच्छा उत्पादन ले सके. आम की खेती का लाभ मुख्य रूप से समय पर बाग में किए जाने वाले विभिन्न खेती के कामों पर निर्भर करता है. समय से खेती के काम या गतिविधियां न करने से बागबान को भारी नुकसान हो सकता है, जो लाभहीन उद्यम हो कर रह जाता है. डॉ सिंह ने बताया कि कैसे आम के बागीचों का प्रबंधन कर किसान लंबे समय तक उच्च उत्पादन ले सकेI
गहरी जुताई और उर्वरक : फलों की तुड़ाई के बाद बाग की अच्छी तरह से गहरी जुताई करनी चाहिए. इस के बाद बाग से खरपतवार निकाल दें. 10 साल या 10 साल से बड़े आम के पेड़ों के लिए यूरिया 2.20 किलोग्राम, सिंगल सुपर फास्फोरस 3.12 किलोग्राम और म्यूरेट औफ पोटाश 1.73 किलोग्राम प्रति पेड़ देना चाहिए. इसी के साथ 80 से 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर या कंपोस्ट खाद भी देना आवश्यक है I खाद व उर्वरक देने के लिए पेड़ के मुख्य तने से 2 मीटर की दूरी पर 25 सैंटीमीटर चौड़ा व 25 सैंटीमीटर गहरा घेरा पेड़ के चारों तरफ खोद दें. इस के बाद आधी मिट्टी निकाल कर अलग करने के बाद उस में सभी खाद व उर्वरक मिलाने के बाद उसे घेरे में भर देते हैं, इस के बाद शेष बची मिट्टी से घेरे को भर देते हैं, उस के बाद सिंचाई कर देनी चाहिए.
कीट प्रबंधन : अत्यधिक नमी वाले स्थानों पर शूट गाल कीट की एक विकट समस्या खड़ी हो जाती है. इस कीट के नियंत्रण के लिए जुलाई व अगस्त का महीना बहुत महत्त्वपूर्ण हैI अगस्त के तीसरे सप्ताह में थियामेथोक्जाम 1 ग्राम प्रति लीटर के साथ प्रोफेनोफॉस 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी और स्टीकर 12 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल कर पहला छिड़काव करें तथा दूसरा पहले छिड़काव के 15 दिन बाद छिड़काव करें। इसके अलावा डाईमेथोएट 30 ईसी 2 मिलीलिटर को प्रति लिटर पानी में घोल कर भी किसान भाई छिड़काव कर सकते हैI इसके साथ ही साथ बाग में मकड़ी के जाले को साफ करते रहना चाहिए और सूखे से प्रभावित एवं रोग ग्रसित हिस्सों को काट कर जला देना चाहिए.
रोग प्रबंधन : अधिक वर्षा व नमी ज्यादा होने की वजह से लाल जंग रोग (रैड रुस्ट) और एंथ्रेक्नोज रोग ज्यादा देखने को मिलता है. इस के नियंत्रण के लिए कौपरऔक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें. सितंबर के महीने में डाईमेथोएट (2 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी) का दोबारा छिड़काव करें। आम के पेड़ से गोंद निकलने की भी एक बड़ी समस्या है. इस के नियंत्रण के लिए सतह को साफ करें और प्रभावित हिस्से पर बोर्डो पेस्ट लगाएं या प्रति पेड़ 200-400 ग्राम कौपर सल्फेट पेड़ की उम्र के हिसाब से जड़ के चारों ओर डालना उपयोगी होता है। अक्तूबर नवंबर महीने के दौरान डाईबैक के लक्षण आम में दिखाई देने लगते हैं, इसलिए 5-10 सैंटीमीटर हरे भाग में मृत लकडि़यों की छंटाई की सलाह दी जाती है और आम के पेड़ों को सूखने या मरने से बचाने के लिए 15 दिनों के अंतराल पर कौपरऔक्सीक्लोराइड (3 ग्राम/लिटर पानी) का 2 बार छिड़काव किया जाता हैI यह फोमा ब्लाइट के नियंत्रण के लिए भी लाभकारी हैI दिसम्बर माह में बाग की बहुत हल्की जुताई करें और बाग से खरपतवार निकाल दें, जिससे मिज कीट, फल मक्खी, गुजिया कीट एव जाले वाले कीट की अवस्थाए नष्ट हो जाएँ। कुछ तो गुड़ाई करते समय ही मर जाती हैं, कुछ परजीवी एव परभक्षी कीड़ों या दूसरे जीवों का शिकार हो जाती हैं और कुछ जमीन से ऊपर आने पर अधिक सर्दी या ताप की वजह से मर जाती है। इस महीने के अंत तक मिली बग के नियंत्रण के लिए आम के पेड़ की बैडिंग की व्यवस्था करें. 25-30 सैंटीमीटर की चौड़ाई वाली एक अल्केथेन शीट (400 गेज) को 30-40 सैमी. की ऊंचाई पर पेड़ के तने के चारों ओर लपेटा जाना चाहिए. इस शीट के दोनों छोर पर बांधा जाना चाहिए और पेड़ पर चढ़ने के लिए मिली बग कीट को रोकने के लिए निचले सिरे पर ग्रीस लगाया जाना चाहिए। दिसंबर माह में छाल खाने वाले और मुख्य तने में छेद (ट्रंक बोरिंग) करने वाले कीड़ों को नियंत्रित करना बहुत ही आवश्यक होता है. इसके नियंत्रण के लिए किसान भाई पहले छेदों को पहचानें और उस को साफ करें. इन छेदों में डाईक्लोरवास (1 मिलीलिटर दवा प्रति 2 लिटर पानी) का इंजैक्शन लगाएं. कीटनाशक डालने के बाद इन छेदों को वैक्स या गीली मिट्टी से बंद कर देना चाहिए। लोरैंथस परजीवी का प्रबंधन: लोरैंथस को कटर की सहायता से फूल आने से पहले संक्रमित शाखा से परजीवी को खुरचकर निकालना चाहिए। अच्छी तरह से स्थापित लोरैंथस की झाडीनुमा पौधे को जुड़ाव वाले बिंदु के नीचे से काट कर नष्ट कर दिया जाता है। तत्पश्चात जिस बिंदु पर लोरैंथस मेज़बान से जुड़ा होता है वहां 0.5% ग्लाइफोसेट नामक खरपतवारनाशी या डीजल का प्रयोग करके उसे पूर्णतया नष्ट कर देना चाहिए,जिससे परजीवी का विकास रूक जाता है।