गाजीपुर। दलित वोटबैंक में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव द्वारा रणनीति के तहत सेंध लगाने की कवायद शुरू हो गयी है। सपा अपने राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के जरिये दलितों में पैठ बढ़ाएगी। इस मुद्दे को आगे भी गर्माये रखने की रणनीति है। पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि इससे भाजपा के धार्मिक ध्रुवीकरण के प्रयासों का जवाब जातीय ध्रुवीकरण से दिए जाने में मदद मिलेगी।सांसद रामजीलाल सुमन ने राज्यसभा में राणा सांगा को लेकर विवादित बयान दिया था। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव की राजनैतिक चाल को समय से पहले समझ लिया है, मायावती ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस, भाजपा आदि की तरह सपा भी बहुजनों, खासकर दलितों को इनका सांविधानिक हक देकर इनका वास्तविक हित नहीं चाहती है। दलितों का कल्याण व उत्थान करना तो दूर, उनकी गरीबी, जातिवादी शोषण व अन्याय-अत्याचार आदि खत्म करने के प्रति कोई सहानुभूति या इच्छाशक्ति भी नहीं है। इसी वजह से दलित मुख्यधारा से कोसों दूर हैं। बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा कि सपा द्वारा बसपा से विश्वासघात, उसके नेतृत्व पर 2 जून को जानलेवा हमला, प्रमोशन में आरक्षण का बिल संसद में फाड़ना, इनके संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में बनाए गए नये जिले, पार्क, शिक्षण व मेडिकल कालेजों का नाम बदलना आदि ऐसे घोर जातिवादी कृत्य हैं, जिसको माफ करना असंभव है। राजनीतिक गलियारो में चर्चा है कि बसपा के गिरते जनाधार को देखते हुए अखिलेश यादव का रामजी सुमन वाला दांव कितना कारगर होगा, 2027 के विधानसभा चुनाव में दलित कितना समाजवादी पार्टी पर विश्वास करेंगे यह तो आने वाला समय बतायेगा लेकिन सपा के दांव ने बसपा में खलबली मचा दी है।
