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चंदे देकर अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाई गई!

उबैदुर्राहमान सिद्दीकी

 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है कि अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे की हक़दार है तथा अभी यह फैसला आना बाक़ी है कि क्या संस्थान अल्पसंख्यको द्वारा दिए गए चंदे से स्थापित है? इस खबर से गाज़ीपुर मे हर तरफ हलचल जोरों पर है कि क्या अल्पसंख्यक वर्ग के सहयोग से यूनिवर्सिटी बनाई गई थीं? यूनिवर्सिटी बनाने में गाज़ीपुर शहर के समद मंज़िल मोहल्ला मछरहट्टा का बहुत बड़ा योगदान है, जिसका उल्लेख तत्कालीन दस्तावेज़ात मे है. सर सैयद अहमद खान ने जब अलीगढ मे 1872 में मुहम्मदन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज फंड कमेटी गठित की, तो इस घराने के मौलवी अब्दुल समद वकील, मौलवी अब्दुल अहद वकील, हाफ़िज़ कारी मुहम्मद अली वकील, गुलाम जिलानी वकील, शेख मुहम्मद जान वकील,मुहम्मद शफी वकील, मुहम्मद समी वकील, शेख आबिद अली वकील मेंबर्स बनकर पैसो से सहायता किया था. इसके बारे मे सर सैयद अपने अख़बार अलीगढ इंस्टिट्यूट गज़ट दिसंबर 1877 मे लिखा था – मुहम्मद अब्दुल समद ने कॉलेज के लिए चंदा पच्चास रूपया  और मेम्बरी फीस दस रुपये दी, जबकि मेम्बरी फीस पंच रुपये थीं.उनके बड़े अब्बा मौलवी अहद साहब वकील दीवानी गाज़ीपुर ने 110 रुपये (लगभग आज की मालियत 35,000) कालेज के निर्माण तथा उसके उत्थान हेतु दिए थे.”(तत्कालीन अख़बार अलीगढ इंस्टिट्यूट गज़ट संलग्न है ). अख़बार के दूसरे अंक 9 मार्च 1877,मे सर सैयद लिखते है,” कालेज मे कुएँ बनाने के लिए समद साहब ने बीस रूपया दिया था, इसलिए मैंने कालेज के अहाता जनुबी दीवार पर ज़हूर हुसैन गेट के मशरिक मे एक जाली पर उनके नाम का एक पत्थर संगमरमर का लगवाया है. इसके बाद साल 1877 में मुहम्मदन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज शुरू किया गया। साल 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक्ट बनाकर विश्वविद्यालय की स्थापना की गई जिसको बनाने मे लाखों रुपयों कि आवशकता थीं, अलीगढ से नवाब मुहसनुलमुल्क अपने सात साथियों के साथ चंदा हेतु 1901 मे गाज़ीपुर के समद मंज़िल मे आकर रुके थे, जहाँ ज़िला के बड़े बड़े जमींदार, अमीर लोगो ने यूनिवर्सिटी के निर्माण हेतु 17 सौ चंदा दिया तथा बाद मे चंदा इकट्ठा करके भेजे जाने का आश्वासन हुआ. इसके लिए समद मंज़िल (लेखक घर) मे तत्कालीन एक कमेटी मुस्लिम फाउंडेशन फण्ड कमेटी बनी जिसके सेक्रेटरी मुहम्मद अज़ीम साहब वकील ( एम एच इंटर कॉलेज के संस्थापक ) हुए. उन्होंने 6 अप्रैल 1916 को सर सैयद के कॉलेज को यूनिवर्सिटी बनाये जाने हेतु अपने घर एक अर्जेंट मीटिंग आयोजित की , जिसमे लिखा था- एक आम जलसा के आयोजन बगर्ज़ फ़ौरन इस अम्र के होना ज़रूरी है हकुमत बर्तानिया को शरायत के साथ जो पूरी है मुस्लिम यूनिवर्सिटी मंज़ूर करना चाहिए, इसलिए शहर के लोगो से गुज़ारिश है कि जुमरात समय 6 बजे शाम मे आकर मुताल्लिक मसला यूनिवर्सिटी अपनी राय और ज़रूरी मशवरे से नवाज़े.”(ओरिजनल पत्र संलग्न है )

 

अत्यंत एक दुर्लभ दस्तावेज मुझे मिला, जिसमे यूनिवर्सिटी बनाये जाने हेतु चंदे के लिए सर सैयद के साथी नवाब मुहसनुलमुल्क के नेतृत्व मे सात अदद कमेटी के सदस्यों के गाज़ीपुर मे आने के कारण दर्ज है और किसके दवारा यह आयोजन किया गया था, उसका भी उल्लेख है. उसे चश्मा रहमत ओरिएण्टल कॉलेज के प्रिंसिपल मौलाना शमशाद साहब फिरंगी महली ने पढ़कर पेश किया था:

बांधकर यूनिवर्सिटी की धुन

फिरते है शहर शहर फरहतनाक

ऐ खुशा बख्त शहर गाज़ीपुर

कि है यह भी मक़ाम एस्तेदराक

आज खुश होंगी रूह सर सैयद

अपने प्यारे से देखकर यह तपाक

साई अब्दुल समद का है यह असर

जमा है इस जगह जो खुश पोशाक

 

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