गाजीपुर। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा के तटवर्ती क्षेत्र चोचकपुर मे लगने वाला मौनी बाबा मेला गाजीपुर जनपद ही नही सम्पूर्ण पूर्वांचल मे मसहूर है । जो करीब एक सप्ताह चलता हॆ। इस मेले मे गाजीपुर जनपद सहित दूर दराज जनपदों के दुकानदार अपनी दुकान लेकर आते है।ऎसी मान्यता है मौनी बाबा धाम पर सच्चे मन व श्रदां के साथ मांगी गयी मुरादे अवश्य पूरी होती हॆ।मौनी बाबा ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन जागृति अवस्था मे समाधि ली थी। इस धाम की एक रोचक कथा आज भी प्रचलित हॆ।कहा जाता हॆ कि मौनी बाबा जंगीपुर क्षेत्र के कनुवान गांव के गोसाई परिवार मे पैदा हुए थे।जो नित्य पैदल चोचकपुर घाट पर स्नान करने के लिए आते थॆ। चंदौली जिले के मेढवा गांव की रहने वाली एक ग्वालिन दूध बेचने के लिए नित्य गंगा पार कर आती थी। एक दिन देर होने से उसे जाने के लिए साधन नही मिला।तब लाचार होकर बाबा के चरणों मे गिर पङी। बाबा ने कहा वह उनके पीछे पीछे चले। बाबा गंगा की पानी मे उतरे व चलते गये। ग्वालिन भी उनके पीछे पीछे हो ली। गंगा पार करने के बाद बाबा ने ग्वालिन से कहा इस बात की चर्चा किसी से न करना अन्यथा पत्थर बन जाओगी।उधर ग्वालिन के देर से घर पहुंचने पर परिवार के लोग संदेह कर उसे मारने पीटने लगे।अगले दिन परेशान होकर परिवार को लेकर ग्वालिन बाबा के पास आयी ऒर बाबा के सामने सारी बात परिजनों को बता दी। लेकिन बाबा के चमत्कार को बताते ही तत्काल पत्थर बन गयी। मंदिर परिसर के समीप ग्वालिन की समाधि बनी हुई हॆ उसे लोग अहिरिनियां माई के नाम से आज भी जानते हॆ।धाम के महंन्थ सत्यानंद यति जी महराज ने बताया यह मेला एकादशी से लेकर एक सप्ताह तक चलता हॆ परन्तु मुख्य स्नान पर्व पूर्णिमा हॆ।
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