गाजीपुर। आदेश उच्च न्यायालय का। अनुपालन करना है सदर तहसील के अधिकारियों को। लेकिन आदेश का अनुपालन करवाने की जगह अपने बचाव का रास्ता भी अधिकारी तलाश रहे हैं और फरियादियों को दौड़ा भी रहे हैं। जबकि सामान्य तौर पर अपनी प्रत्येक बैठक और हर अवसर पर जिलाधिकारी आर्यका अखौरी अपने मातहतों को निर्देश देती रहती हैं कि पट्टाधारकों की जमीन पर कोई अवैध कब्जा न करे तथा बंजर, खलिहान, चकरोड और पोखरी की जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाय। यहाँ मामला ही पूरी तरह उलटा है। मामला सदर तहसील के मौजा हिमरदोपुर उपरवार परगना करंडा का है। यहाँ के प्रधान ने दसियों वर्ष पूर्व संवरू, पारसनाथ, सोमारू, नीबूलाल, हरिमूरत व शिवमूरत को कृषि के लिए भूमि का पट्टा किया। पट्टे के बाद से ही दबंग मामले को मुकदमेबाजी में उलझा दिए। लेकिन कई अदालतों से फैसला पट्टा धारकों के पक्ष में ही आया। बावजूद इसके उन्हें उस भूमि पर काबिज नहीं होने दिए। निराश पट्टाधारक अंततः उच्च न्यायालय इलाहाबाद की शरण में पहुँचे। वहाँ से दो माह के भीतर कब्जा दिलाने का आदेश हुआ। छः माह से अधिक समय व्यतीत हो चुका है सदर तहसील प्रशासन अब तक कब्जा नहीं कर सका है। जबकि वहाँ के खलिहान की जमीन पर अवैध कब्जा कर मकान तक बना लिये गए हैं और पट्टाधारक दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। देखना है की जिला प्रशासन कब तक इन पट्टाधारकों को दौड़ाता है।
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