गाजीपुर। सत्यदेव डिग्री कॉलेज के हाल में शूरवीर महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती मनाई गई इस अवसर पर एक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री पारसनाथ राय जी प्रधानाचार्य इंटर कालेज सीखड़ी रहे। अतिथि के रूप में आनंद मिश्रा जी रहे। संगोष्ठी के प्रारंभ में महाराणा प्रताप के चित्र पर सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस के एमडी प्रो. सानंद सिंह जी ने मुख्य अतिथि और अतिथि महोदय के साथ पुष्पांजलि अर्पित किया।संगोष्ठी के आरंभ में गंधर्व म्यूजिक एकेडमी के निदेशक श्री विद्यानिवास पांडे जी ने स्वागत गीत द्वारा सभी का स्वागत किया। इसके बाद अतिथि और मुख्य अतिथि महोदय का अंगवस्त्रम से स्वागत किया गया ।अपने विषय प्रवेश के संभाषण में सत्यदेव ग्रुप ऑफ कॉलेजेस के प्रबंध निदेशक डा. सानंद सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप जी का जीवन दर्शन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है कठिन समय में भी महाराणा प्रताप जी ने अपना धैर्य नहीं खोया और नहीं अपने लक्ष्य से विचलित हुए एक समय ऐसा आया जब उनके परिवार के लोगों को घास की रोटी खाकर भी गुजर करना पड़ा फिर भी वे अपने विरोधियों के सामने नतमस्तक नहीं हुए अपने लक्ष्य पर अडिग रहे आज उनके इस गुण को हम सभी को आत्मसात करने की जरूरत है विपत्ति में धैर्य रखना और अपने लक्ष्य से विचलित ना होना ही सफलता का मूल मंत्र है संगोष्ठी को संबोधित करते हुए अतिथि आनंद मिश्रा जी ने कहा कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप हिंदुस्तान की रक्षा के लिए प्राण प्रण से लगे रहे हिंदुस्तान के गौरव के लिए उनके द्वारा किया गया कार्य हम सभी के लिए अनुकरणीय है संगोष्ठी में बोलते हुए मुख्य अतिथि श्री राय जी ने कहा कि महाराणा प्रताप जैसे वीर बहादुर प्रतापी राजा हिंदुस्तान की रक्षा के लिए लगा रहा वह अपने विरोधियों के सामने नतमस्तक नहीं हुए आपातकाल में भी वह अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुए उनका यह गुण हम सभी के लिए महान प्रेरणा का स्रोत है और यह गुण शिरोधार्य करने योग्य है संगोष्ठी के अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राम चंद्र दुबे जी ने सभी आगंतुकों का संगोष्ठी में आने के लिए आभार व्यक्त किया उन्होंने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप और अकबर की लक्ष्यों की तुलना करते हुए कहा कि हिंदुस्तान में बने रहना और हिंदुओं के साथ रहना अकबर की मजबूरी थी,यह उसकी महानता नही थी, लेकिन हिंदुस्तान की रक्षा करना और हिंदुत्व की रक्षा करना महाराणा प्रताप का शौक था,जो उनकी महानता का प्रतीक है, जिसमें वे जीवन पर्यंत लगे रहे उन्होंने कभी भी किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानी इस तरह महाराणा प्रताप हम सभी के लिए आदर्श हैं। संगोष्ठी के अंत में समवेत स्वर में सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया गया और संगोष्ठी का समापन हुआ। इस संगोष्ठी में सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेज के काउंसलर दिग्विजय उपाध्याय जी सत्यदेव डिग्री कॉलेज के निदेशक अमित सिंह रघुवंशी जी, डिग्री कॉलेज के सम्मानित शिक्षक गण और कर्मचारी भी उपस्थित रहे संगोष्ठी का संचालन वरुण कुमार चौबे जी ने किया।
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