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बिरहा व लोकगीत से ही मेरी पहचान- पूर्व एमएलसी काशीनाथ यादव

गाजीपुर। बिरहा सम्राट व पूर्व एमएलसी काशीनाथ यादव ने कहा कि बिरहा व लोकगीत से ही मेरी पहचान है। बिरहा और लोकगीत मेरी आत्‍मा है। उन्‍होने पूर्वांचल न्‍यूज डाट काम को बताया कि हमने आज से तीन दशक पहले बिरहा और लोकगीत गाना शुरु किया। हमने शुरु से ही समाजिक परिवर्तन और जागरुकता को ध्‍यान में रखते हुए गीत गाया जो काफी लोकप्रिय हुए। उन्‍होने बताया कि हमने धर्म के आडम्‍बर के खिलाफ, शोषित, वंचितों,  गरीबों के हक की लड़ाई के लिए देश भक्ति, 15 और 85 के आरक्षण के संदर्भ में गीत गाया जिसमे आरक्षण और डाक्टर अम्‍बेडकर पर गाये बिरहा से प्रभावित होकर पहली बार बसपा के संस्‍थापक कांशीराम ने हमको बिहार धनबाद से बुलाकर बसपा कोटे से एमएलसी बनाया। कुछ ही दिनों बाद बसपा अपने सिद्धांत से भटक गयी तो नेताजी मुलायम सिंह ने हमको बुलाकर दो बार एमएलसी बनाया और तब से लेकर आजतक मैं समाजवादी गीत गाकर समाज को जागरुक बना रहा हूं और शोषित, वंचित, गरीबों के हक की आवाज को बुलंद करता रहूंगा।

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