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राज्य पर्यटन मंत्री से मिले भाजपा नेता रमेश सिंह पप्पू, महाहर धाम के विकास के लिए किया अनुरोध

गाजीपुर। जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा नेता कुंवर रमेश सिंह पप्पू ने राज्य के पर्यटन मंत्री से लखनऊ में मुलाकात कर महाहर धाम के विकास के लिए विशेष अनुरोध किया। धार्मिक, संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत की पहचान के विकास के लिए कार्य अवश्य होना चाहिए। इससे धार्मिक आस्था की मजबूती होगी। पर्यटन का विकास होगा तो उद्योग और व्यवसाय में भी बढ़ोतरी होगी। वही विश्व के मानचित्र पर स्थापित होगा। क्षेत्र के महाहर धाम तीर्थ स्थल का विकास कराने को लेकर वरिष्ठ भाजपा नेता कुंवर रमेश सिंह पप्पू सक्रिय हो गए हैं। बीते दिनों लखनऊ में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह को मंदिर के विकास के लिए प्रस्ताव सौंपा और इस पौराणिक स्थल के विकास के साथ ही धार्मिक पौरणिक स्थल की मान्यता को लेकर विस्तार पूर्वक चर्चा की। भाजपा नेता ने पर्यटन राज्यमंत्री से महाहर धाम की मान्यता को लेकर बताया कि महाराजा दशरथ द्वारा स्थापित धार्मिक पौरणिक स्थल है। इस ऐतिहासिक व पौराणिक शिव मंदिर से क्षेत्र के लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है। महाहर मंदिर पर स्थानीय लोगों के साथ साथ अन्य जनपदों से लोग भी दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर पर पूरे वर्ष प्रतिदिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है और श्रावण मास में तो एक दिन में भीड़ लाखों की संख्या तक पहुंच जाती है। बताया कि इसके बावजूद उक्त स्थल पर धार्मिक विकास धर्मार्थ कार्य व पर्यटन विभाग द्वारा विशेष ध्यान नहीं देने से धाम का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के अनुरूप विकास नहीं हो सका है। उन्होंने पर्यटन राज्यमंत्री से मांग किया कि महाहर मंदिर की ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए इसका विकास के साथ सुंदरीकरण कराया जाए। महाहर धाम में प्राचीन तेरह मुखी शिवलिंग स्थापित है। जहां महाशिवरात्रि पर भक्तों का रेला उमड़ता है। इसके अलावा पूरे सावन माह मंदिर परिसर घंटो की आवाज से गुंजयमान रहता है। मंदिर पर सावन माह में बाबा भक्तों का रेला उमड़ता है। मान्यता है कि इस धाम का निर्माण राजा दशरथ ने कराया था। ऐसा माना जाता है कि महाहर धाम में राजा दशरथ का  शब्दभेदी बाण गलती से श्रवण कुमार को जा लगा था। जिससे उनकी मौत हो गई थी । यही वो स्थान है जहां श्रवण कुमार के अंधे और बूढ़े मां बाप ने राजा दशरथ को श्राप दिया था। उन्होंने भी यही प्राण त्याग दिए थे। इसके बाद ब्रम्ह् हत्या से बचने के लिए राजा दशरथ ने इस स्थान पर शिव परिवार व भगवान ब्रम्ह की स्थापना किए।

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