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माँ के गर्भ से मिलता है पुत्र को संस्कार- स्वामी अमरेश्वरानन्द जी

गाजीपुर। नंदगंज साईनाथ मैरेज हाल परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस को प्रसंगों के माध्यम से आशुतोष महाराज जी के कृपापात्र शिष्य स्वामी अमरेश्वरानन्द जी ने प्रहलाद प्रसंग को शिष्य जनमानस के मध्य रखते हुए बताया कि पुत्र को संस्कार माँ के गर्भ से मिलता है। इसलिए माताओं को देशहित, समाजहित तथा अपने कल्याण को ध्यान में रखते हुए एक श्रेष्ठ पुत्र प्राप्ति हेतु माता ‘कयाधू’ की तरह संतसेवा तथा भगवत कथा को श्रवण करना चाहिए।स्वामी जी नहीं आगे कहा कि प्रहलाद के जीवन गाथाओं से प्रमाणित है कि वे आसुरी वृत्ति को परास्त कर सत्य का विजयध्वज फहराया था। भगवान ने भक्त प्रहलाद की रक्षा हेतु नृसिंह रूप में अवतार लेकर भक्त का कल्याण किया। वैसे ही आज भी भक्तों के कल्याण हेतु संतों के रूप अवतरित होते ४५ मानव को भक्त्ति प्रदान और आत्मज्ञान प्रदान करते हैं। एक स्त्रीवास ने बताया कि करवा चौथ का व्रत करके स्त्री पति की दीर्घायु हेतु चौथ अथवा चार को करो। ये चार चीजें क्या है? महापुरषों के अनुसार जीव स्त्री का प्रतीक है ,पति सिर्फ परमात्मा है। इसलिए परमात्मा का तत्व स्वरूप दिव्य प्रकाश, अनहद नाद, अमृत तथा परमात्मा का आदिनाम को जानना ही करवा चौथ है। इसे प्राप्त कर परमात्मा रूपी पति प्रसन्न होते है और जीव रुपी स्त्री सुहागिन होते हैं। इसलिए जीवन को सुखदायी बनाने के लिए भारवत भक्ति को प्राप्त करना चाहिये।

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