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विजय कुमार मधुरेश के निधन पर साहित्य चेतना समाज ने दी श्रद्धांजलि

गाजीपुर। साहित्य चेतना समाज के तत्वावधान में एक शोक सभा संस्था के उपाध्यक्ष इंजी0 संजीव गुप्त के कचहरी रोड स्थित आवास पर हुई। सभा में हास्य व्यंग्य के सिद्धस्त कवि, शिक्षक एवं पत्रकार विजय कुमार मधुरेश के निधन पर शोक संवेदना प्रकट करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।प्रारंभिक वक्तव्य देते हुए डी.ए.वी.इण्टर कॉलेज गाजीपुर के अध्यापक डॉक्टर संतोष कुमार तिवारी ने कहा कि गाजीपुर के साहित्याकाश से हास्य-व्यंग्य का ध्रुवतारा चला गया।उनके व्यंग्य समाज को जगाने और झकझोरने का कार्य करते थे।कुछ समय केभीतर ही गाजीपुर के साहित्य जगत से रामावतार शर्मा,बालेश्वर विक्रम, विश्वविमोहन शर्मा जैसे साहित्यकार चले गए,जो अत्यंत दुखद है।साहित्य चेतना समाज के संस्थापक अमरनाथ तिवारी’अमर’ ने उन्हें बेमिसाल व्यक्तित्व वाला बताया।वो बातों-बातों में व्यंग्य उत्पन्न कर देते थे।मधुरेश जी साहित्य चेतना समाज के चेतना प्रवाह के स्तंभ थे और उन्होंने साहित्य को ग्रामीण अंचल में फैलाने में अभूतपूर्व योगदान दिया।कवि हरिशंकर पाण्डेय ने उनकी प्रसिद्ध कविता ‘झील में पानी बरसता है इस देश में,को याद किया और उनके अप्रतिम व्यक्तित्व की सराहना की।वरिष्ठ कवि नागेश मिश्र ने उन्हें सहज और सरल व्यक्तित्व वाला बताया।उन्होंने कहा कि वे मेरे पड़ोसी थे,वो जब भी घर आते थे ,वातावरण साहित्यिक हो जाता था।वो कभी किसी की नुक्ताचीनी नहीं करते थे।साहित्य चेतना समाज के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने उन्हें सहज,सरल और आह्लाद से भरा इंसान बताया।वो दिल खोलकर मिला करते थे और किसी से द्वेष नहीं पालते थे।गीतकार गोपाल गौरव ने कहा कि बहुत सारी गोष्ठियों मे हमारा उनका साथ रहा।उनके व्यंग्य चुटीले और करारे होते थे।युवा व्यंग्यकार आशुतोष कुमार श्रीवास्तव ने उनकी कई हास्य-व्यंग्य की कविताएं सुनाईं और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की प्रशंसा की।प्रधानाचार्य डॉक्टर पारसनाथ सिंह ने कहा कि वो साहित्याकार के साथ पत्रकार भी था।सामाजिक विसंगतियों पर वो करारा प्रहार करते थे।वरिष्ठतम कवि और महाकाव्यकार कामेश्वर द्विवेदी ने उनसे अपने घनिष्ठतम रिश्तों की चर्चा की और उन्हें एक श्रेष्ठ व्यंग्यकार बताया। इस अवसर पर हीराराम गुप्त, इंजीनियर संजीव गुप्त, डॉक्टर रविनन्दन वर्मा,राघवेंद्र ओझा ने अपने विचार व्यक्त किए।

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