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कृषि विज्ञान केंद्र, आंकुशपुर गाजीपुर: खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन कर किसान बने स्वावलम्बी

गाजीपुर। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, आंकुशपुर, गाजीपुर के प्रशिक्षण हाल में आयोजित इक्कीस दिवसीय खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ। इस इक्कीस दिवसीय रोजगारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रम में गाजीपुर जिले के आठ ब्लॉकों के कुल 15 अनुसूचित जाति के पुरुष एवं महिला कृषकों ने भाग लिया। प्रशिक्षण के दौरान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जे. पी. सिंह ने अपने सम्बोधन मे बताया की ग्रामीण महिलाएं किस प्रकार विभिन्न कृषि खाद्य उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर स्वरोजगार का एक महत्वपूर्ण साधन बना सकते है और यह मूल्य संवर्धन प्रशिक्षण ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण मे भी अहम भूमिका अदा कर रहा है। डॉ. सिंह ने प्रतिभागी महिलाओं को मडुआ का बिस्कुट, कुकिज, सेवई, लड्डू, बर्फी, मल्टी ग्रेन आटा के साथ-साथ मडुआ आधारित बाल आहार, माल्ट पेय तथा मडुआ के मूल्यवर्धक उत्पाद कचौरी, हलवा एवं चीला बनाने का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया। उन्होंने कहा कि मोटे अनाजों को पोषण का पॉवर हाउस भी कहा जाता है। जबकि वर्त्तमान में मक्का, रागी, ज्वार और बाजरा जैसे मोटे अनाज हमारे आहार में लगभग नगण्य हो गए है। इनका यथोचित ज्ञान और दैनिक आहार में इनका पुनः समावेश बहुत आवश्यक है। इस अवसर पर उन्होने प्रतिभागियों की प्रतिकृया प्राप्त कर प्रशिक्षण प्रमाण पत्र वितरित किए और आगे भी तकनीकी जानकारी हेतु कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़े रहने की सलाह दी। प्रशिक्षण समन्वयक डा0 शशांक शेखर ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा बताया कि इस इक्कीस दिवसीय रोजगारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने फलों एवं सब्जियों के मूल्य संवर्धित उत्पाद जैसे चटनी, सॉस, केचप, मुरब्बा, जैम, जेली, अचार, मोटे अनाजों के मूल्य संवर्धित उत्पाद, दूध के मूल्य संवर्धित उत्पाद, मशरुम के मूल्य संवर्धित उत्पाद, मछली एवं मांस के मूल्य संवर्धित उत्पादों के बारे मे विस्तृत जानकारी प्राप्त की। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य महिला एवं बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षित कर स्वावलम्बी बनाना है।  केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ  ऐ के सिंह ने बताया कि प्रतिभागियों को प्रशिक्षण के दौरान दूध उत्पाद जैसे पनीर, रसगुल्ला, बर्फी, खोया और गुलाब जामुन आदि बनाने, स्वच्छ दूध उत्पादन, दूध में दूध पदार्थों में मिलावट की जांच पर विस्तार से ज्ञानवर्धक जानकारियां दी गई। प्रशिक्षण के दौरान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र प्रताप ने विभिन्न मोटे अनाजों की उत्पादन तकनीक के बारे में बताया। उन्होंने महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्रों हेतु उपयुक्त मिलेट मूल्य संवर्धन तकनीक तथा मिलेट मूल्य संवर्धन में प्रयुक्त उपकरणों की व्यावहारिक जानकारी दी। डा0 शशांक सिंह ने मौसमी फल व सब्जियों के परिरक्षण के महत्व के बारे में अवगत कराया, और उन्होनें कहा कि प्रायः हमारे देश में फल व सब्जियों का उचित संग्रहण व्यवस्था न होने के कारण लगभग 25-30 प्रतिशत फल व सब्जी नष्ट हो जाते हैं तथा मौसमी होने के कारण इनकी उपलब्धता वर्ष भर नहीं रहती, इन्हीं कमियों को पूरा करने के लिये फल व सब्जियों का परिरक्षण किया जाता है। इससे वर्ष भर फल व सब्जी की उपलब्धता बढाई जा सकती है तथा एक स्थान से दूसरे स्थान में ले जाने में आसानी रहती है। इस प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने फलों एवं सब्जियों के विभिन्न प्रसंस्करित उत्पादों को बनाने एवं उनके मूल्य संवर्धन पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन प्रशिक्षण समन्वयक डा0 शशांक शेखर ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ नरेंद्र प्रताप ने दिया।

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