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मुंशी हरि प्रसाद टामटा सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए सदैव संघर्षशील रहे-रामावतार शर्मा

गाजीपुर। सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए आजीवन संघर्षरत, दलितों, पिछड़ों के अध्ययन हेतु उत्तराखंड मे 150 से अधिक स्कूलों के निर्माता मुंशी हरिप्रसाद टामटा की 137वीं जयंती आज महारानी दिद्दा फाउंडेशन ट्रस्ट के तत्वावधान में देवांश कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट,सरैंया छावनी लाइन पर विश्वकर्मा समाज के जिलाध्यक्ष जनार्दन शर्मा की अध्यक्षता में उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर स्मरण, नमन करते हुए विचार गोष्ठी आयोजित कर मनाया गया।विचार गोष्ठी मे विचार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि साहित्यकार रामावतार ने कहा कि मुंशी हरिप्रसाद टामटा का जन्म 26 अगस्त 1857 को उत्तराखंड में शिल्पकार समाज मे हुआ था।उस समय समाज मे फैली छुआछूत और अस्पृश्यता जैसी समस्याओं का बचपन से सामना करते हुए हाईस्कूल तक की शिक्षा प्राप्त किया और सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए संघर्षशील रहे। उन्होंने कहा कि विश्वकर्मा वंश में पैदा हरिप्रसाद टामटा उत्तराखंड के शोषित समाज के लोगों के लिए किसी मसीहा से कम नही थे। उनको उत्तराखंड का अम्बेडकर कहा जाता था।अध्यक्ष जनार्दन शर्मा ने कहा कि 1938 मे दलित समाज के लोगों के लिए सेना में भर्ती की शुरुआत भी टामटा के अथक प्रयासों से दलित समाज के लोगों के लिए सेना में भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि 1934 मे उन्होने समता नामक अखबार प्रकाशित किया।समाजिक नेता पूर्व प्रधान राम अवतार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा विश्वकर्मा समाज में विभूतियों की कमी नहीं है और आह्वान करते हुए कहा कि अगर विश्वकर्मा समाज अपने इतिहास को पढ़ेगा तथा जानेगा  तभी आगे बढ़ेगा ।हमें राजनीतिक भागीदारी तथा जागृति की जरूरत है। हमें अपने नेताओं की पहचान कर उन्हें मजबूती प्रदान करने की जरूरत है। जिससे समाज  देश की मुख्य धारा जुड़ सकता है।गोष्ठी का संचालन करते हुए भाजपा जिला मीडिया प्रभारी शशिकान्त शर्मा ने कहा कि विश्वकर्मा समाज का गौरवशाली इतिहास रहा है।जो समय काल मे  दब गया था लेकिन लोगों की जागरूकता से अब उजागर होने लगा है। उन्होंने कहा कि महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर समाज को शिक्षित और सेवा के प्रति प्रेरित करना समय की प्रासंगिकता है।कार्यक्रम संयोजक शिवम विश्वकर्मा ने लोगों के प्रति आभार, धन्यवाद व्यक्त किया। गोष्ठी को  राघव शर्मा रमन ,विनोद शर्मा ,भरत शर्मा, चंदन विश्वकर्मा, कन्हैया विश्वकर्मा ,रीता विश्वकर्मा आदि ने संबोधित किया।इस अवसर पर राजीव शर्मा, नवेन्दु शर्मा, विकास शर्मा, मनोज कांत विश्वकर्मा ,दीपक  विश्वकर्मा, विकास विश्वकर्मा ,पंकज विश्वकर्मा ,पियूष विश्वकर्मा, गिरीश चंद्र विश्वकर्मा सहित गोष्ठी मे जिले भर से  विश्वकर्मा समाज के बुद्धिजीवी, शिक्षक ,समाज सेवी, साहित्यकार ,पत्रकार, राजनीतिक लोगों ने भाग लिया ।

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