गाजीपुर। मुख्तार अंसारी के जनाजे में भारी संख्या में लोग शामिल हुए हैं। शनिवार की सुबह से लोगों का जमावड़ा शुरू हो गया था। धीरे-धीरे लोगों की संख्या बढ़ती गई। उधर, मूछों से पहचाने जाने वाले माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे ने अंतिम विदाई से पहले पिता की मूछों पर ताव दिया। बांदा मेडिकल कॉलेज से एंबुलेंस से उसके शव को शुक्रवार को दाेपहर बाद करीब 4:43 बजे गाजीपुर के लिए रवाना किया गया था। सुरक्षा के कड़े इंतजाम और एंबुलेंस सहित 21 गाड़ियों के साथ बांदा से गाजीपुर की दूरी करीब 8.32 घंटे में तय हुई। मुख्तार अंसारी की मौत गुरुवार की रात बांदा मेडिकल कॉलेज में हार्टअटैक से हुई थी। शुक्रवार को पोस्टमार्टम हुआ, फिर शव परिजनों के सुपुर्द करके करीब 4.43 बजे एंबुलेंस से गाजीपुर के लिए भेजा गया था। शव वाहन बांदा से फतेहपुर, कौशांबी, प्रयागराज और भदोही होते हुए रात करीब 10.32 बजे वाराणसी पहुंचा, फिर गाजीपुर रवाना हो गया। मुख्तार के छोटे बेटे उमर अंसारी और बड़ी बहू निकहत अंसारी बांदा से शव वाहन के साथ आए। माफिया मुख्तार अंसारी को सुपुर्दे-ए खाक करने के लिए उसके घर से करीब 400 मीटर दूर पुस्तैनी कब्रिस्तान में कब्र खोदी गई, जो 7.6 फीट लंबी और पांच फीट गहरी थी। यह कब्र उसके मां-बाप की कब्र से पांच फीट नीचे (पैर की तरफ) बनाई गई है, इस कब्रिस्तान में अब तक मुख्तार के परिवार से पिता सुभानल्लाह अंसारी और उनकी पत्नी की कब्र अगल-बगल बनाया गया है, जबकि उनके पूर्वजों की कब्र बगल में है। मुख्तार अंसारी की कब्र को उनकी कब्र से पांच फीट नीचे सुबह साढ़े सात बजे बनाने का काम शुरू हुआ। यह कार्य उनके भतीजे शोहेब अंसारी की निगरानी में हुई, जिसके लिए तीन हिंदू मजदूर नगीना, संजय और गिरधारी को बुलाया गया। मुख्तार अंसारी के जनाजे में भारी संख्या में लोग मौजूद रहे। इस दौरान भीड़ अधिक होने के चलते लोगों को कब्रिस्तान के बाहर रोक दिया गया गया था। अंदर 50 लोगों को जाने की अनुमति दी गई थी। मुख्तार अंसारी के जनाजे में भारी संख्या में मौजूद लोगों ने अपने मोबाइल फोन में इस पल को कैद किया। हर तरफ लोगों का जमावड़ा देखने को मिला। मुख्तार अंसारी का जनाजा कब्रिस्तान के अंदर गया तो बाहर पांच हजार से अधिक की संख्या में खड़े लोगों की निगाहें अंतिम समय दीदार को व्याकूल दिखीं। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पूरी तरह पुलिस प्रशासन अलर्ट रही। ड्रोन से मौके की निगरानी की गई। मुख्तार अंसारी के जनाजे में भीड़ बेकाबू हो गई। कब्र पर मिट्टी डालने के लिए लोग बेताब दिखे। मुख्तार अंसारी के भाई सांसद अफजाल अंसारी और विधायक शोहेल अंसारी भी बार-बार लोगों से अपील कर चुके थे, लेकिन कोई जाने को तैयार नहीं था। मुख्तार अंसारी का शव कड़ी सुरक्षा के बीच दफनाया गया। इस दौरान भीड़ बेकाबू होने पर पुलिस प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी। मुख्तार के कब्र पर मिट्टी डालने के लिए लोग बेताब दिखे।