गाजीपुर। लालसा इंटरनेशनल स्कूल रायपुर, में कक्षा 6-12 के बच्चों ने मिलकर प्रधानमंत्री मोदी का परीक्षा पे चर्चा देखा, सुना एवं चुनौतियों का सामना कैसे आसान तरीक़े से करना है सिखा।कार्यक्रम में मुख्य रूप से शिक्षक रवि कुशवाहा, विमल कुशवाहा एवं गोपाल सेन ने बच्चों को इस कार्यक्रम को देखने की सलाह दी। कार्यक्रम में मोदी जी ने बच्चों को जिन बातों को कहा वह बच्चों में काफ़ी सकारात्मक प्रगति लेकर आएगी।यह सभी छात्रों और शिक्षकों के लिए सीखने और जीवन भर का अनुभव था। उन्होने प्रधानमंत्री से सीखा कि कैसे खुद को साबित करना है, कैसे जीवन की बड़ी अपेक्षाओं को पूरा करना है और कैसे प्रौद्योगिकी उनके दिमाग और आत्मा का विस्तार कर सकती है।कहते हैं, उसका पालन किया करें: बच्चे माता-पिता को कैसे विश्वास दिलाएं कि वो तैयारी कर रहे हैं? इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि इस संबंध में छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को अपने आचरण पर गहनता से विचार करना चाहिए। जो आप कहते हैं अगर सचमुच उसका पालन करते हैं तो किसी को विश्वास दिलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।विद्यार्थियों के मन में विश्वास की अहम भूमिका होती है। शिक्षकों और अभिभावकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विश्वास की कोई कमी न हो। विश्वास के बिना, एक छात्र में सफल होने के लिए आत्मविश्वास की कमी होगी। विश्वास का रिश्ता बनाने के लिए हमारे दैनिक जीवन में बातचीत आवश्यक है।लिखकर करें प्रैक्टिस- पीएम मोदी : आज के समय में बहुत कम लोग लिखकर प्रैक्टिस करते हैं। पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि कोशिश करें जब आप तैयारी कर रहे हैं तो पठन-पाठन के साथ लिखकर भी तैयारी करें। ऐसा करने से आपको अपनी गलतियों में सुधार करने का मौका मिलेगा, साथ ही टाइम मैनेजमेंट भी कर पाएंगे।शिक्षक किस तरह छात्रों को तनावमुक्त रहने में करें मदद?: टीचर का स्टूडेंट के साथ का नाता शुरूआत से लेकर परीक्षा आने तक निरंतर बढता रहे तो शायद परीक्षा के दौरान छात्रों पर तनाव की नौबत न आए। शिक्षकों को चाहिए कि वे छात्रों के साथ केवल सिलेबस तक ही संबंधित न हों। शिक्षक और छात्र का नाता ऐसा हो कि छात्र छोटी-मोटी समस्या को भी शिक्षक के साथ डिस्कस करने से न हिचकिचाए।हमें किसी भी तरह के दबाव से निपटने के लिए खुद को ढालना होगा: इच्छाशक्ति से हम दबाव के बावजूद सफलता हासिल कर सकते हैं… हमें दबाव से निपटने की कला को जल्दबाजी में नहीं, बल्कि धीरे-धीरे लागू करना चाहिए। दबाव को संभालना सिर्फ विद्यार्थी का काम नहीं है; इस प्रक्रिया को आसान बनाने की जिम्मेदारी शिक्षकों और अभिभावकों पर भी है।मुख्य परीक्षा से पहले इन सभी मुख्य बातों को सुनकर बच्चों ने काफ़ी सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव किया। स्कूल कि शिक्षिका विमल कुशवाहा ने कहा की चुकि यह कार्यक्रम बच्चों एवं शिक्षकों के लिए है इसीलिए सभी बच्चों को परीक्षा पे चर्चा सुनना चाहिए।
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