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स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार को बढा कर ही प्राप्त किया जा सकता है सम्पूर्ण समन्वित ग्राम्य विकास का लक्ष्य : आकांक्षा

गाजीपुर। पी०जी० कालेज गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी मे कला संकाय के भूगोल विभाग की शोधार्थिनी कुमारी आकांक्षा ने अपने शोध प्रबंध शीर्षक “जौनपुर जनपद में जनसंख्या और ग्रामीण विकास – एक भौगोलिक अध्ययन” नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि जौनपुर का ऐतिहासिक महत्व अतिप्राचीन काल से रहा है। यह जनपद एक ग्रामीण जनसंख्या बहुल क्षेत्र है। इस क्षेत्र में आजीविका का मुख्य साधन कृषि है। अतः कृषि विकास के बिना इस जनपद का विकास नहीं किया जा सकता है। जनपद जौनपुर में  स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार का अभाव है। सन 2011 की जनगणना के अनुसार जनपद की कुल जनसंख्या 4494204 है। इसमें ग्रामीण जनसंख्या 4147624 तथा नगरीय जनसंख्या 346580 है। अध्ययन क्षेत्र की कुल जनसंख्या में पुरुषों की जनसंख्या 2220465 है तथा महिलाओं की जनसंख्या 2273739 है।  जनपद में लिगांनुपात के अन्तर्गत 1000 पुरुषों पर 1021 महिलाएँ है। जनपद की साक्षरता दर 71.55 प्रतिशत है, जिसमें ग्रामीण साक्षरता दर 70.81 प्रतिशत है तथा नगरीय साक्षरता दर 80.17 प्रतिशत है। अध्ययन क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व 1113 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी है। ग्रामीण क्षेत्रों का जनघनत्व 1039 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी है तथा नगरीय क्षेत्रों का जनघनत्व 7364 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी है। जनपद में दसवर्षीय जनसख्या वृद्धि 14.5 प्रतिशत है जिसमें ग्रामीण जनसंख्या वृद्धि दर 14.8 प्रतिशत है तथा नगरीय जनसंख्या वृद्धि दर 19.47 प्रतिशत है। जनपद जौनपुर ग्रामीण जनसंख्या वाला जनपद है। यह एक पिछड़ा क्षेत्र है। यहाँ बड़े उद्योगों का विकास नहीं हुआ है। इस प्रकार अध्ययन क्षेत्र में समग्र ग्राम्य विकास प्रमुख तीन बिन्दुओं स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार को विकसित करके ही सम्पूर्ण समन्वित ग्राम्य विकास को विकसित किया जा सकता है। अध्ययन क्षेत्र के द्वारा समग्र ग्राम्य विकास हेतु कृषि, औद्योगिक, सामाजिक, आर्थिक गतिविधियों को बढ़ा करके ही गाँवों को समृद्ध, कुशल एवं आदर्श गाँवों के रूप विकसित किया जा सकता है। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थिनी ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह, मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ०) एस० डी० सिंह परिहार, शोध निर्देशक  डॉ० बासुदेव राम भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० सुनील कुमार शाही, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के सदस्य प्रोफे० (डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० रामदुलारे, डॉ० के०के० पटेल, डॉ० रुचिमुर्ति सिंह, डॉ० योगेश कुमार, डॉ० मनोज कुमार मिश्र, डॉ० अतुल कुमार सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित रहे। अंत में शोध निर्देशक डॉ० बासुदेव राम ने  सभी का आभार व्यक्त किया, संचालन अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह ने किया।

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