गाजीपुर। सनबीम स्कूल महाराजगंज के निदेशक नवीन सिंह जी द्वारा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जयंती के अवसर पर जिले के तुलसीपुर स्थित महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इस आयोजित कार्यक्रम में जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा के पूर्व कुलपति श्री हरिकेश जी उपस्थित रहे। उन्होनें बच्चों का मार्गदर्शन करते हुए वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जयंती के अवसर पर कहा कि महाराणा प्रताप महान व्यक्तित्व के धनी थे उन्होनें मुगल शासक अकबर को हल्दी घाटी के युद्ध में नाको चने चबवा दिया था। उन्होनें कहा कि इतिहासकारों द्वारा इतिहास की सच्चाई से लोगों को वंचित रखा गया और अकबर को महान बताया गया जबकि अकबर किसी भी युद्ध मे वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के सामने आने के लिए हिम्मत ही नही जुटा सका । वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार विक्रम संवत 1597 तदनुसार 9 मई 1540 ई0 मे हुआ था और वह 19 जनवरी 1597 में वीर गति को प्राप्त हुए। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप उदयपुर मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। उनका नाम इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ प्रण के लिये अमर है। आगे उन्होनें बताया कि श्यामनारायण पाण्डेय वीर रस के सुविख्यात हिन्दी कवि थे जिन्होनें हल्दी घाटी महाकाव्य की रचना की। हल्दी घाटी महाकाव्य पर उनको उस समय का देव पुरस्कार प्राप्त हुआ था। आज इस मौके पर विद्यालय के 10वीं की छात्रा अंकिता ने हल्दी घाटी के द्वादश सर्ग का वाचन किया। विद्यालय की अध्यापिका खुशबू पाण्डेय ने महाराणा प्रताप के जीवन काल को बच्चों के समक्ष संक्षिप्त में वर्णन किया। तत्पश्चात जिले के गोरा बाजार स्थित टैगोर पार्क में महान भारतीय कवि श्री रविन्द्रनाथ टैगोर जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण करते समय ‘ज्योदितोरो डाक्सनिकोना’ के गाने की शानदार प्रस्तुति की गयी। इस मौके पर बच्चों द्वारा पार्क की साफ सफाई भी की गयी। यह अत्यन्त ही गौरव की बात है कि हमारा विद्यालय इस तरह के आयोजनो को कर समाज और क्षेत्र की जनता के लिए एक मिसाल पेश करता आया है और भविष्य में भी ऐसे आयोजनों को करता रहेगा। कार्यक्रम की शुरूआत में कक्षा 12वीं की छात्रा तनुश्री ने महान कति रविन्द्रनाथ टैगोर की महानता के बारे में बताया। विद्यालय की एडिमिनिस्टेªटर सरोन जालान ने कहा कि रविन्द्रनाथ टैगोर एक महान भारतीय कवि थे। उनका जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता में हुआ था। टैगोर और उनका कार्य पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध है। वो पहले ऐसे भारतीय बने जिन्हें गीतांजली नामक अपने महान लेखन के लिये 1913 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वो एक दर्शनशास्त्री एक चित्रकार और एक महान देशभक्त भी थे जिन्होंने हमारे देश के राष्ट्रगान जन गण मन की रचना की। रविन्द्रनाथ टैगोर रविन्द्रनाथ ठाकुर के नाम से भी जाने जाते थे और गुरुदेव के नाम से अधिक प्रसिद्ध थे। वो एक महान भारतीय कवि थे जिन्होंने देश को कई प्रसिद्ध लेखन दिया। वो कालीदास के बाद दूसरे महानतम कवि हैं। आज वो पूरी दुनिया में एक महानतम कवि और लेखक के रुप में प्रसिद्ध हैं। वो पहले भारतीय और पहले एशियाई थे जिनको अंग्रेजी संस्करण लेखन के लिये 1913 में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विश्वविख्यात कवि साहित्यकार दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा वे ही थे। इस मौके पर विद्यालय के अध्यापक संकेत कश्यप ने रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा वायसराय को लिखे गये पत्र जिसमें जलियाँवाला बाग नरसंहार के ख़िलाफ़ एक विरोध में 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा दिये गये अवार्ड नाइटवुड को इन्होंने अपने देश और देशवासियों के प्रति प्यार के कारण वापस कर दिया का वाचन किया गया । इनका महान लेखन आज भी देश के लोगों को प्रेरणा देता है। बच्चों द्वारा इस आयोजन में काबुलीवाला तथा द पोस्टमास्टर नाट्य की प्रस्तुति की गयी । इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक नवीन सिंह जी प्रधानाचार्या अर्चना कुमारी और विद्यालय के समस्त कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
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