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प्राकृतिक चिकित्‍सा रोगों को जड़ से करती है समाप्‍त- डॉ. बुद्ध नारायण उपाध्याय

गाजीपुर। राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान आयुष मंत्रालय भारत सरकार ,इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन व सूर्या फाउंडेशन नई दिल्ली के सहयोग से नारायण योग प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में कम्पोजिट विद्यालय गहमर गाजीपुर पर पंचम प्राकृतिक चिकित्सा दिवस अमृत महोत्सव के रूप में 18 नवंबर 2022 से 31 मार्च 2023 तक नेचुरोपैथी आरोग्य व परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। जिस के मुख्य अतिथि डॉ.बुद्ध नारायण उपाध्याय (राज्य सहसंयोजक उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन) ने आज के मुख्य रोग h3n2हांगकांग वायरस व करोना जैसी भयानक महामारी के साथ-साथ डायबिटीज, हृदय रोग ,मानसिक तनाव, गठिया, रक्तचाप, थायराइड, मोटापा आदि रोगों से कैसे बचाव, निदान, प्राकृतिक उपचार  पर पूरी जानकारी दी गई । प्राकृतिक चिकित्सा केवल उपचार पद्धति ही नहीं है बल्कि  यह संपूर्ण स्वास्थ्य जीवन जीने की कला है। आई एन ओ के जिला संयोजक  राकेश कुमार सिंह इस कार्यक्रम के आयोजक रहे। उन्होंने कहा प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति इलाज नहीं बल्कि जीवन जिले की कला है जो रोग को जड़ मूल से समाप्त करती है। मंच का संचालन कम्पोजिट विद्यालय के अध्यापक चंद्रभान बिंद जी ने किया। उक्त अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में विद्यालय की अध्यापिका श्रीमती सरिता त्रिपाठीजी,  श्रीमती ममता सिंहजी ,राजेश कुमार यादव, धर्मेंद्र सिंह, राममिलन मौर्य, शशिप्रभा उपाध्याय, ओम नारायण उपाध्याय नमो नारायण उपाध्याय के साथ-साथ विद्यालय के सभी बच्चों ने बहुत ही ध्यान एवं उत्सुकता पूर्वक शिविर का लाभ लिया।  शिविर में मंत्रोचार के द्वारा ध्यान, प्राणायाम के साथ-साथ सूर्य नमस्कार का अभ्यास, इसके बाद अंकुरित अन्य एवं फल का वितरण  भी कराया गया इसके साथ साथ प्राकृतिक चिकित्सा के 5 महाभूत “मिट्टी पानी धूप हवा। सब लोगों की यही दवा।।” के साथ-साथ आहार संयम, व्यवहार संयम एवं विचार संयम पर विशेष बल दिया गया। आकाश महाभूत का उपचार उपवास के रूप में, पृथ्वी महाभूत का उपचार मिट्टी लेप करके ,जल महाभूत का उपचार गरम ठंडा जल स्नान करके ,कटि स्नान करके अग्नि महाभूत का उपचार सूर्य की रोशनी एवं सूर्य की रोशनी से बना हुआ जल तेल अथवा पके फलों के आधार पर वायु चिकित्सा का लाभ प्राणायाम के द्वारा एवं घर्षण मालिश एक्यूप्रेशर के उपचार बिंदुओं पर परिचर्चा मुख्य अतिथि के द्वारा किया गया। चिकित्सा का मुख्य बिंदु शरीर में गंदगी का इकट्ठा ना होने पर बल दिया गया इसके लिए शारीरिक शोधन अत्यंत आवश्यक है। पसीने के रूप में, पेशाब के रूप में, मल के रूप में, कफ के रूप में,  प्राकृतिक चिकित्सा से इन सभी का सरल तरीके से शुद्धि की जाती है जिससे शरीर से मल को निकाला जाता है तथा शरीर आरोग्य को प्राप्त होता है।

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