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समाजसेवी कुंवर वीरेंद्र सिंह की सलाह देने वाले समाज को एक संदेश

गाजीपुर। मुझे कई लोग सलाह देते है आज भी दिए है कि आप जो लावारिस शव का पोस्टमॉर्टम के बाद दाहसंस्कार करते है। उनका ब्रह्मभोज (तेरही) भी कराया करिये। जिससे उनकी मृतक आत्मा को पूर्णरूप से शांति मिल सकें। और जिस दिन लावारिस शव का पोस्टमॉर्टम के बाद दाहसंस्कार करते है। उस दिन (अन्न) खाना मत खाया करिये। आपको दोष पड़ेगा। मै तो लगभग हर रोज लावारिश शव का पोस्टमॉर्टम कराकर दाहसंस्कार करता हूँ। या लावारिस शव मिलने पर मर्चरी रूम में शिनाख्त कराने के लिए रखता हूँ। दिन में कभी खाना खाता नही हूँ। केवल रात में खाना खाता हूँ। कभी कभी रात में भी खाना नसीब नही होता है। अगर रात में भी खाना नही खाऊंगा। तो मेरा भी काम तमाम हो जाएगा। कभी नींद पूरी नही हुई। हमेशा फोन बजता रहता है। लगभग हर रोज डेढ़ सौ से दो सौ इनकमिंग आउटगोइंग कॉल आता जाता रहता है। ऐसे ही हरासमेंट, चक्कर आना अब हर रोज का काम हो गया है। मै भी इंसान हूँ। मै भी बीमार पड़ता हूँ। पर किसी को पता नही होता कि मै कब बीमार पड़ता हूँ और कब ठीक हो जाता हूँ। अपने सेवा कार्य से कभी हार नही मानता हूँ। न मानुगा। जब तक जिन्दा है। सेवा कार्य निस्वार्थ रूप से चल रहा है और चलता रहेगा। रही बात लावारिस शव के पोस्टमॉर्टम के उपरांत दाहसंस्कार के बाद ब्रह्मभोज (तेरही) करने की तो लावारिस शव के दाहसंस्कार के लिए लकड़ी खरीदने के लिए तो पैसे की व्यवस्था हो नहीं पाती है। पुलिस विभाग और मेरे सहयोग से किसी तरह पूरी व्यवस्था करके नियमानुसार लावारिस शव का पोस्टमॉर्टम कराने के बाद दाहसंस्कार किया जाता है। कभी कभी लकड़ी का पैसा भी उधार लग जाता है। मुझे न कोई सरकारी या प्राइवेट मदद मिलती है। न मुझे कभी लेना है। आज आप लोग ये भी जान जाइये। मै ये निस्वार्थ सेवा कार्य कैसे दिन रात कर लेता हूँ। शादी हुई नही है। न करना है। घर खर्च के लिए मुझे कोई व्यवस्था नही करनी है। इन्ही लावारिश लोगो के आशीर्वाद से ईश्वर ने हमे सब कुछ दिया है। पर मै अपने सेवा कार्य मे परिवार से भी कोई मदद नही लेता हूँ। और मै पूर्णरूप से बेरोजगार हूँ। न कोई नशा करता हूँ। अगर किसी को मेरे सेवा कार्य मे किसी तरह का स्वार्थ दिखे तो इस समाज के सामने जरूर उजागर करियेगा। मेरी प्रेरणास्रोत मेरी स्वर्गीय माँ उर्मिला देवी जी है। जिनकी दिनाँक-08 अक्टूबर 2018 को कैंसर से मृत्यु हो गई है। जिनको मै कैंसर जैसे जानलेवा बिमारी से लड़ते हुए। देखकर मजबूत बना हूँ। मुझे कोई नही हरा सकता है। मै जब बहुत परेशान होता हूँ। तो अकेले में उनसे बात करता हूँ। मेरी हर समस्या का समाधान हो जाता है। सबसे जरूरी बात मेरे सभी कार्य मे सबसे बड़ा योगदान रिंकू जी और सोनू सिंह टीचर का है। जिनका मै आजीवन अहसानमंद रहूँगा। आप सभी को सादर प्रणाम है।

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