गाजीपुर। जनपद के लोकप्रिय कवि लालबिहारी शर्मा द्वारा रचित दिल को छू लेने वाली कविता…
वो बात पुरानी याद आई,
वो गुज़रा ज़माना याद आया।
जिसको हम ढूंढा करते हैं,
वो गुज़रा फ़साना याद आया।
आंगन और दर भी पूछ रहे,
गलियां भी पूछ रहीं रो कर।
वो छत भी सूनी रहती है,
सिमटे थे जहां बेसुध होकर।
साइकल से उड़ते बालों का,
मुंह पर लहराना याद आया।
वो बात पुरानी याद आई,
वो गुज़रा ज़माना याद आया।
कच्ची उम्र की प्यारी बातें,
याद हमें जब आती हैं।
बढ़ी उम्र में बिना तुम्हारे,
हमें बहुत तड़पाती हैं।
अंधेरे में गुप – चुप ,गुप – चुप,
यूं बतियाना याद आया।
वो बात पुरानी याद आई,
वो गुज़रा ज़माना याद आया।
अनजानी राहों पर चल,
इस घर तक आए थे हम तुम।
अब घर बुत खाना लगता है,
रहता हूं इसमें मैं गुम – सुम।
ग़म गीन मुहल्ले में आकर,
खुशियों का घराना याद आया।
वो बात पुरानी याद आई,
वो गुज़रा ज़माना याद आया।
….. लालबिहारी शर्मा “अनंत