गाजीपुर। जिले में एक बुजुर्ग महिला अपने पेंशन के लिए पिछले दो महीने से कोषागार के चक्कर लगा रही हैं। 67 वर्षीय बुजुर्ग महिला को चलने में दिक्कत हैं। उन्हें पिछले महीने से पेंशन की रकम नहीं मिल रही है। वृद्ध महिला ने राज्य सरकार से जल्द से जल्द बुजुर्ग महिला की समस्या के समाधान की अपील की है। 67 वर्षीय गायत्री सिंह जिले के फतेहपुर सिकंदर गांव की रहने वाली है और बेसिक शिक्षा विभाग के प्रधानाध्यापिका पद से सेवानिवृत्त होकर पेंशन से गुजारा करती है। वृद्ध महिला ने जून के दूसरे सप्ताह में सम्बंधित लिपिक दुर्गेश कुमार को जीवित प्रमाण पत्र सौंपी थी। लेकिन सम्बंधित लिपिक की लापरवाही से जीवित प्रमाण पत्र गायब हो गया। जिससे वृद्ध महिला की पेंशन रुक गई है। पेंशन रुकने से वृद्ध महिला पर आश्रित बच्चों का स्कूल फीस, बिजली बिल, दवा आदि लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। उधर वरिष्ठ नागरिक अरविंद नाथ राय और माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय मंत्री चौधरी दिनेश चंद्र राय ने कहा कि सरकार कहती है कि गारंटी देकर सरकार लोगों के जीवन सुधार रही है लेकिन बुजुर्ग महिला की मुसीबत देख समझा जा सकता है कि लोगों का जीवन पटरी से उतर चुका है। इन्होंने कहा,” जून महीने में जीवित प्रमाण पत्र देने के लिए पेंशनभोगी वृद्ध महिला चार किलोमीटर दूर तक रेंगती हुई पहुंची। इस दादी ने नागरिक समाज की चेतना को झकझोर दिया है।”बुजुर्ग महिला की मुसीबत देख हम सबका सिर शर्म से झुक गया है और साथ ही अधिकारियों सहित सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार समाज के दबे-कुचले लोगों, बुजुर्ग, विकलांग और विधवाओं के लिए कई योजनाएं चलाईं। बुजुर्गों को मिलने वाली रकम बढ़ाई। सरकार की ये जिम्मेदारी है कि वे जरूरतमंदों की समय से मदद करे। आप महिलाओं को बराबर का दर्जा देते हैं लेकिन उन अनगिनत बुजुर्ग मांओं का क्या? क्या अधिकारियों और सरकार को कोई दया नहीं आती?
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