गाज़ीपुर। गोपीनाथ पीजी कॉलेज में मोटे अनाज के लाभ संबंधी सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि महिला पीजी कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ नेहा कुमारी ने बताया कि मोटे अनाज फेनोलिक एसिड, टैनिन, एंथोसायनिन, फाइटोस्टेरॉल, एवेनेथ्रामाइड्स और पोलिकोसैनोल सहित फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होते हैं। विभिन्न कथित तरीकों से उनमें मुख्य अनाज और फलों की तुलना में इन विट्रो में उच्च एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। कुछ पोषण-विरोधी कारक भी हैं जिन्हें कुछ प्रसंस्करण उपचारों द्वारा कम किया जा सकता है। कई महामारी विज्ञान अध्ययनों से पता चलता है कि ये अनाज कई प्रकार की पुरानी बीमारियों जैसे कैंसर, हृदय रोग, टाइप II मधुमेह और विभिन्न गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों को कम करने में सहायक हैं। प्रकृति में मोटे होने के कारण, वे हमारे मुख्य अनाजों की जगह नहीं ले सकते, लेकिन विभिन्न पोषण संबंधी उत्पाद बनाने के लिए चावल और गेहूं के साथ विभिन्न अनुपात में उपयोग किया जा सकता है। इनका उपयोग दलिया, बिस्कुट, केक, कुकीज़, टॉर्टिला, ब्रेड, प्रोबायोटिक पेय, लड्डू, गट्टा, फ्लेक्स और कई किण्वित खाद्य पदार्थ बनाने के लिए किया जा सकता है। मोटे अनाजों में बायोएथेनॉल, कागज, तेल और बायोफिल्म के निर्माण की भी अच्छी क्षमता है। कालेज प्राचार्या डॉ सुधा त्रिपाठी ने बताया कि मोटे अनाज की फसलों की खेती करके पानी की बचत होती है इसलिए उनकी खेती को बढ़ावा देना चाहिए, साथ ही उन्होंने फसल विविधीकरण पर भी जोर दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ गिरीश चंद्र ने किया। इस अवसर पर समस्त प्राध्यापकगण व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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