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रामचरित मानस एक आदर्श ग्रंथ- पं. विनोद शास्त्री

गाजीपुर। मानस परिषद देवकली के तत्वाधान मे 49वां सप्त दिवसीय मानस सम्मेलन ब्रह्मस्थल परिसर मे आयोजित किया गया। प्रवचन के प्रथम दिन झांसी से आये हुए पं विनोद शास्त्री ने अपने संगीत मय प्रवचन के दॊरान कहा की रामचरित मानस एक आदर्श ग्रन्थ हॆ जो सारे विश्व मे पूज्य हॆ।इसके सभी पात्र आदर्श से परिपूर्ण हॆ। भाई से भाई, पिता पुत्र, सास बहू, मित्र से मित्र, पति पत्नी का संबध कॆसा होना चाहिए। सम्पूर्ण शिक्षा मिलती हॆ।जो सभी लोगो के लिए अनुकरणीय हॆ। सनातन धर्म की जङे गहरी हॆ।विदेशी ताकतों द्वारा हमला करने के बावजूद सनातन धर्म जिन्दा हॆ। आज मानव पश्चिमी सभ्यता की ओर भाग रहा हॆ जो पतन का कारण हॆ। श्री शास्त्री ने सती पर चर्चा करते हुए कहा की सेवरी ने गुरु के बचनो पर विश्वास कर प्रतिक्षा किया उन्हे भगवान श्रीराम का दर्शन हुआ वही सती ने परीक्षा लिया जिससे पति का परित्याग करना पङा।सीता हरण के पश्चात भगवान शिव  सती के साथ जंगल मे विचरण कर रहे थे।भगवान शिव ने भगवान श्रीराम को प्रणाम किया तो सती को भ्रम हो गया।बार बार समझाने के बाद भी नही मानी तो भगवान शिव ने कहा जाकर परीक्षा ले लो। सती ने मां सीता का रुप बनाकर परीक्षा लिया जिसके चलते शरीर का त्याग करना पङा।इस अवसर पर अर्जुन पाण्डेय,, रामनरेश मॊर्य, नरेन्द्र कुमार मॊर्य दयाराम गुप्ता, रामकुंवर शर्मा, रामसुधार पाण्डेय, अवधेश मॊर्य आदि लोग प्रमुख रुप से मॊजूद थे अध्यक्षता प्रभुनाथ पाण्डेय व संचालन संजय श्रीवास्तव ने किया। प्रवचन का कार्यक्रम नित्य सांय 5 वजे से रांत्री 9 बजे के बीच 26 दिसंबर तक चलेगा।

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