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साहित्य उन्नयन संघ के तत्वावधान में ‘समाज में कविता की महत्ता ‘ विषय पर हुई चर्चा

गाज़ीपुर। साहित्य उन्नयन संघ द्वारा गांधी पार्क, आमघाट स्थित कार्यालय पर ‘समाज में कविता की महत्ता ‘ विषय पर काव्य गोष्ठी एवं चर्चा का आयोजन किया गया जिसमें कवियों ने अपनी रचना पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पी. जी. कॉलेज, गाजीपुर से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. धर्म नारायण मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि कविता और समाज एक दूसरे की पूरक है। कविता समाज को दिशा देती है। साहित्य के उत्थान के बिना एक आदर्श समाज का निर्माण मुश्किल है। साहित्य उन्नयन संघ के अध्यक्ष कवि दिलीप कुमार चौहान बाग़ी ने अपने चिरपरिचित अंदाज़ में सुनाया कि- लौटकर नहीं आयेगा बचपन यह सोचकर आज उदास हूँ, माँ-बाप को ढूँढ़ रहीं हैं आँखें भले बीवी – बच्चों के पास हूँ। कवि चेतन ‘ग्रामीण’ ने बिजली संकट पर सुंदर व्यंग पढ़ा। कवि रामअवध कुशवाहा ने ‘शब्द’ कविता के माध्यम से शब्दों की अहमियत बताते हुए कहा कि शब्द ही संसार है।  कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रही बाल कवियित्री नंदिता ने सुनाया कि- ज़ालिम ज़माने से कोइ तो पूछे कोख में ही क्यों मारी जाती हैं बेटी। समकालीन सोच पत्रिका के मुख्य संपादक श्री राम नगीना कुशवाहा, पी. जी. कॉलेज, गाजीपुर के प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार सिंह, डॉ. बालेश्वर विक्रम, सहजानंद पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के प्रोफेसर देव प्रकाश राय, एम. एम. सिंह सहित कई अन्य वक्ताओं द्वारा अपने- अपने  विचार  प्रकट किए  गए। कार्यक्रम का संचालन संघ के अध्यक्ष दिलीप कुमार चौहान ‘बाग़ी’ ने  किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. इक़बाल  अंसारी ने की। इस दौरान समाजसेवी अशोक सिंह, अंश विक्टर, आदित्य राय एवं कई वरिष्ठ जन उपस्थित रहे।

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