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गुम कहाँ जाने मुस्कान है, लगे आज इंसाँ तो हैवान है- कवि कृष्‍णानंद दुबे

गाजीपुर l आमघाट कालोनी गाँधी पार्क, गाज़ीपुर स्थित साहित्य उन्नयन संघ के कार्यालय में एक काव्य संगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें कई जनपदों के सम्मानित कवियों ने प्रतिभाग किया और अपनी कविताओं के माध्यम से श्रोताओं का मनोरंजन करके खूब बाहबाही लूटीl कवि धर्मदेव सिंह यादव ने कहा कि सामने रामकली हो तो ग़ज़ल होती है वर्ना शीशे में परी हो तो ग़ज़ल होती है। फांका मस्ती में तो एक शेर न नाजिल होती है, जेव रिश्वत से भरी हो तो ग़ज़ल होती है। संघ के अध्यक्ष कवि दिलीप कुमार चौहान ‘बागी’ राजनीति पर व्यंग करते हुए कहा कि जेवन मजा बा नौकरी में ओसे ज्यादा बा प्रधानी में, ये राजा चुनाव तु लड़ल कुछ बा ना अब किसानी में’। कृष्णानंद दुबे गोपाल जी ने सुनाया कि हुई गुम कहाँ जाने मुस्कान है, लगे आज इंसाँ तो हैवान है। कवी इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने मंहगाई है तेज ना करिए दिल को छोटा खर्च ना करिए मन को खोटा। डा. हर्षित पवन ने जब भी मौका मिले मुस्करा लीजिए, बाँटिए बाँटकर बढ़ा लीजिए। डाॅ. बालेश्वर विक्रम ने पढ़ा कि दुनिया की सर्वाधिक सुन्दर गन्ध रोटी की होती है। यशवंत यादव ने गाज़ीपुर को बलिदानी धरती बताया। सुजीत कुशवाहा ने कहा कि ‘शब्द एक मै, मां की लिखावट का’। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुर्य कुमार सिंह जी ने बताया कि साहित्य उन्नयन से हम सबका विकास है, साहित्य ही भारत माँ का असली लिबास है। कार्यक्रम का अध्यक्षता  राजकीय सिटी इ. कॉलेज के पूर्व प्रवक्ता श्री धर्मदेव सिंह यादव ने की एवं संचालन लोकप्रिय कवि इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक ने की। इस अवसर पर संघ के महिला प्रकोष्ठ की प्रभारी अभा किरण सिन्हा एवं प्रवक्ता प्रिंस कुमार राय द्वारा भी विचार प्रकट किए गए। विशिष्ठ अतिथि संतोष कुमार बबलू व कुन्जबिहारी राय सहित दर्जन भर लोग उपस्थित रहे।साहित्य उन्नयन संघ के अध्यक्ष कवि दिलीप कुमार चौहान बागी ने आभार व्यक्त किया।

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