गाजीपुर। वर्ष 2021 मे जब वैश्विक महामारी कोरोंना का दूसरा भयानक दौर पूरी दुनिया में प्रलय मचाया हुआ था विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाले भारत में सरकारें पूरी तत्परता से लोगों के जीवन की सुरक्षा मे लगी हुई थी उसी समय देश के कुछ समाचार चैनलों और अखबारों में प्रयागराज मे गंगा नदी के किनारे दफनाए गए और गंगा नदी मे बहते शवो की तस्वीरें दिखा कर केंद्र की मोदी जी एवं प्रदेश में योगी जी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकारों की कोरोंना संकट से निपटने में अक्षमता प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया और इसमे राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए विपक्ष भी पूरी ताकत से लगा हुआ था। जबकि हकीकत य़ह है कि सनातन धर्म में अनेक ऐसे पंथ हैं जिनमे मृत्यु के बाद शव का अग्निदाह नहीं होता, अल्पायु मे मृत्यु, अग्नि से जलकर मृत्यु, सांप काटने से मृत्यु जैसे मामलों में अग्नि दाह के बजाय जल-प्रवाह होता है। लेकिन मा मोदी जी की सरकार की नमामिगंगे योजना के कारण हुई जागरूकता और सख्ती से लोग शव गंगा नदी में प्रवाहित करने के बजाय किनारे रेत मे दफना देते हैं जो पानी बढ़ने पर कभी-कभी नदी में समा जाते हैं या रेत कम होने पर उपर दिखाई देते हैं। कल उन्हीं समाचार चैनलों मे से एक ‘आज तक ‘के ‘up tak ने प्रयागराज मे गंगा के किनारे शवों के दफनाए जाने की वर्तमान समय की तस्वीर साझा की है जिनसे स्पस्ट है कि गंगा नदी के किनारे शव दफन करने की पुरानी परंपरा है कोरोंना काल में इस तरह की तस्वीरें दिखाकर सरकारों को बदनाम करने की कोशिश की गई थी। क्या इन तस्वीरों के माध्यम से कोरोंना संकट काल में जनजीवन की सुरक्षा के लिए तत्परता से काम करने वाली सरकारों का मनोबल तोड़कर जनता के साथ विश्वासघात करने के लिए समाचार माध्यमों और विपक्ष के बयानवीरों को जनता से माफ़ी नहीं माँगनी चाहिए? महा आपदा के समय सरकारों से सहयोग करने के बजाए इस प्रकार के मिथ्या आरोप लगाने वालों की कड़ी भर्त्सना होनी चाहिए।
