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खाकी बाबा सिद्धार्थ इंटर कालेज में स्वामी विवेकानंद विषय संगोष्ठी सम्पन्न

गाज़ीपुर। भारत विकास परिषद शाखा गाजीपुर की तरफ से स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर खाकी बाबा सिद्धार्थ इंटर कॉलेज परिसर में वर्तमान संदर्भों में स्वामी विवेकानंद विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ भारत माता एवं स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर प्रारंभ हुआ इसके पश्चात सुश्री आस्था एवं सुश्री वर्षा द्वारा वंदे मातरम गीत प्रस्तुत किया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता द प्रेसीडियम इंटरनेशनल स्कूल के निदेशक माधव कृष्ण ने कहा किस्वामी विवेकानन्द को देखते समय पूर्वाग्रहों से मुक्त होना होगाl वह समाजवाद, राष्ट्रवाद, सभ्यता, संस्कृति, प्रवृत्ति, निवृत्ति, वेद, विज्ञान, बुद्धि और ह्रदय सब कुछ हैं; और इनसे परे भी हैंl उनके वचनों को पढ़कर मनुष्य संकीर्णताओं की सभी सीमाओं से मुक्त होकर मनुष्यमात्र के विषय में संवेदनशील हो उठता हैl भारतीय नवजागरण में राजा राममोहन रॉय ने उपनिषदों के अद्वैत को पकड़ा, जबकि आर्य समाज ने वेदों को पकड़ा, थियोसोफिकल सोसाइटी ने प्राचीन संस्कृति को पकड़ाl इन्होंने भारतीय जनमानस को जगाने का कार्य किया लेकिन इनके अंदर समग्र भारतीय सभ्यता और संस्कृति अपना प्रतिनिधि नहीं पा सकीl स्वामी विवेकानन्द के गुरु रामकृष्ण परमहंस में भारतीय जनमानस को प्राचीन ऋषियों और धर्म का साक्षात विग्रह मिलाl रामकृष्ण परमहंस आर्ष परम्परा की गंगा थे और स्वामी विवेकानन्द इस गंगा के भागीरथl उन्होंने भारतीय संस्कृति के सत्य, शिव और सुंदर के सिद्धांत को समूचे विश्व को पवित्र और मुक्त करने के उद्देश्य से फैला दियाl शिकागो के विश्व धर्म संसद में 11 सितम्बर १८९३ को उनके पहले उद्बोधन के बाद भारत को संपेरों का देश समझने वाले पाश्चात्य जगत में एक खलबली मच गयीl उन्हें पहली बार लगा कि जिस देश, संस्कृति और धर्म का प्रतिनिधित्व स्वामी विवेकानंद करते हैं, उस देश में धर्म-प्रसार के लिए ईसाई मिशनरीज को भेजने की क्या आवश्यकता हैl वह भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के जनक हैं। आज के परिवेश में स्वामी विवेकानन्द अधिक प्रासंगिक हो चुके हैंl जहां पड़ोसी युक्रेन और रूस एक दूसरे का अस्तित्त्व मिटाने का युद्ध लड़ रहे हैं, वहां स्वामी विवेकानन्द सभी धर्मों के सार को ग्रहण करने और सारहीन का त्याग कर विश्व-बंधुत्व और मैत्री की सार्वभौम सन्देश दे रहे हैंl जहां हिन्दू और मुस्लिम एक दूसरे के रक्त के प्यासे होकर राजनैतिक दुश्मन बने हैं, वहीं स्वामी विवेकानन्द समावेशी वेदांती मस्तिष्क और सशक्त इस्लामी शरीर के द्वारा एक सशक्त भारत का निर्माण करने के प्रबल पक्षधर हैंl एक तरफ जहाँ लोग जातिवाद में अंधे होकर संकीर्ण होते जा रहे हैं, वहीं स्वामी विवेकानन्द अमीबा की संकुचित चेतना से क्राइस्ट और बुद्ध के महान हृदय में रूपांतरण की बात कर रहे हैंl उनके पहले उद्बोधन में असहिष्णुता के स्थान पर सहिष्णुता और सार्वभौम स्वीकृति के माध्यम से सभ्यताओं को बर्बाद करने वाली कट्टरता को समाप्त करने की बात की गयी थीl स्वामी विवेकानन्द में वह सब कुछ है जो सुंदर हैं; और विश्व को सुंदर बनाने का स्वप्न देखने वाली प्रत्येक आँख को उनकी तरफ देखना ही होगा।  भारत विकास परिषद के क्षेत्रीय महासचिव नवीन श्रीवास्तव ने परिषद के बारे में पूरी जानकारी प्रस्तुत की। संरक्षक चंद्रमा यादव ने स्कूल के छात्रों को आशीर्वचन दिया । खाकी बाबा सिद्धार्थ फार्मेसी के प्रबंधक अशोक कुमार सिंह पप्पू ने सबका स्वागत एवं अभिनंदन किया। परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार उपाध्याय ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन परिषद के संयोजक संजय कुमार ने किया। इस अवसर पर प्रेम कुमार सिंह, उग्रसेन सिंह ,अनुपम आनंद श्रीवास्तव, प्रमोद राय रुन्नू ,  सूर्य प्रकाश राय ,अरुण कुमार राय आजाद ,प्रवीण गुप्ता ,विनय राय ,जयप्रकाश लाल , अजय प्रताप सिंह ,विनोद सिंह डब्लू , सचिन यादव , भुल्लन यादव ,दिग्विजय सिंह ,हीरालाल , उदय प्रताप यादव ,सूबेदार यादव , प्रफुल्ल सिंह आदि उपस्थित रहे।

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