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कर्मवीर सत्‍यदेव सिंह के पांचवी पुण्यतिथि पर संत समाज, बुद्धिजीवियों व सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

गाजीपुर। सत्यदेव कॉलेज परिसर में सत्यदेव ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस के संस्थापक प्रमुख समाज सेवी समाजवादी नेता एवं शिक्षाविद कर्मवीर सत्यदेव सिंह की पांचवी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 650 साल प्राचीन सिद्ध पीठ हथियाराम जखनिया गाजीपुर के महंत परम पूज्य श्री भवानी नंदन यति जी महाराज अपने आशीर्वाद के साथ उपस्थित थे। गीता गुरुकुल मिशन मिशीगन अमेरिका के संस्थापक श्री योगी आनंद जी भी इस कार्यक्रम में पधारे थे। पहली बार पांच वर्षों में दलीय सीमाएं को तोड़कर सभी राजनैतिक दलों के नेता पदाधिकारियों ने कार्यक्रम में सिरकत कर कर्मवीर सत्‍यदेव सिंह को श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे छपरा स्थित जयप्रकाश विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह जी। कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन तथा बीज वक्तव्य के लिए उपस्थित थे मध्य प्रदेश शासन के पूर्व अपर मुख्य सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव जी। प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय प्रयागराज के कुलपति प्रोफ़ेसर अखिलेश जी तथा महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय आजमगढ़ के कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार शर्मा भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे । दीनदयाल विश्वविद्यालय गोरखपुर के संगीत तथा मंच कला के संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य जी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे। गाजीपुर के पूर्व सांसद राधे मोहन सिंह तथा जमानिया के वर्तमान विधायक ओमप्रकाश सिंह भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे मां शारदा ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस आजमगढ़ के संस्थापक फौजदार सिंह तथा उत्तर प्रदेश के शिक्षकों के नेता प्रोफेसर काशीनाथ सिंह तथा हिंदी के प्रसिद्ध गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र भी इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में सर्वधर्म समभाव की संकल्प भावना को व्यक्त करने के लिए गाजीपुर चर्च के फादर तथा प्रजापति ब्रह्मकुमारी आदरणीय दीदी भी उपस्थित थी। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं उनके समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। अभ्यागत अतिथियों ने कर्मवीर सत्यदेव सिंह के चित्र के समक्ष हार्दिक पुष्पांजलि भेंट की तथा महंत श्री भवानी नंदन यति जी महाराज ने कर्मवीर सत्यदेव सिंह की नवनिर्मित प्रतिमा का अनावरण भी किया। श्रद्धांजलि कार्यक्रम के अवसर पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया था जिस का समापन दिवस कल था। इस संगोष्ठी का विषय था भारतीय ज्ञान परंपरा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020। स्वागत वक्तव्य देते हुए सत्यदेव ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस के प्रबंध निदेशक प्रोफेसर सानंद सिंह ने सभी आगंतुक अतिथियों का हार्दिक अभिनंदन किया तथा कहा कि पूज्य पिताजी श्री कर्मवीर सत्यदेव सिंह की स्मृति में आयोजित यह कार्यक्रम उनके आदर्शों, उनके सपनों और उनके विश्वासों को आकार देने के लिए किया गया है। प्रारंभिक उद्बोधन देते हुए सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस के मुख्य प्रबंध निदेशक प्रोफेसर आनंद सिंह ने भारतीय ज्ञान परंपरा की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत की ज्ञान परंपरा में कर्, उपासना और ज्ञान तीनों का समुच्चय है। उन्होंने पुष्पदंत द्वारा रचित शिवमहिम्न के श्लोकों को उद्धृत करते हुए कहा कि भारतीय परंपरा में ज्ञान के प्रस्थान अनेक हो सकते हैं लेकिन गंतव्य अनेक नहीं है। वह एक ही है जिसे परम सत्ता या परम शिव कहा गया है। भारत की परंपरा विश्व की ज्ञान परंपरा का प्रतिनिधित्व करती है और अभी भी प्रासंगिक बनी हुई है। बीज वक्तव्य देते हुए मनोज श्रीवास्तव जी ने इस बात पर बल दिया कि शिक्षा का मूल काम ज्ञान की परम संभावनाओं का उद्घाटन है। उसका प्रमुख काम नौकरी देना नहीं है। वह स्व को उद्घाटित करने की कुंजी है और आत्मा को अभिव्यक्त करने का औजार है। ऐसी शिक्षा जो मनुष्य के स्वत्व और उसके स्वाधीन विवेक को प्रतिष्ठित या जागृत न कर सके वह शिक्षा नहीं है बल्कि अज्ञान और अंधकार की ओर धकेलने वाली प्रक्रिया है। वर्तमान शासन व्यवस्था  द्वारा प्रस्तुत की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार ने यह प्रयत्न किया है कि स्कूल शिक्षा से उच्च शिक्षा तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों के मन में मातृभाषा की संभावना के साथ ही भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति पर्याप्त समादार होना चाहिए। शिक्षा की व्यवस्था में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए भारत की ज्ञान परंपरा ने हजारों वर्षों से गुरु शिष्य आधारित मौखिक और व्यवहारिक शिक्षा का आदर्श प्रस्तुत किया। विद्यार्थियों के साथ साथ समाज के तथा राष्ट्र के विकास के लिए समर्पित जिस ज्ञान आधारित समाज की संकल्पना की थी उसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से पुनः आविष्कृत करने का प्रयत्न किया गया है। आवश्यकता इस बात की है कि उसे ठीक से लागू किया जाए। औपनिवेशिक भारत में लार्ड मैकाले के नेतृत्व में जिस तरह की शिक्षा व्यवस्था पैदा हुई उसने विद्यार्थियों को धीरे-धीरे भारत के स्वत्व और भारत के विवेक से काटने का काम किया। इस का कुपरिणाम यह हुआ कि पढ़ा-लिखा वर्ग धीरे-धीरे भारतीय समाज और जनजीवन से कटता चला गया । विदेशी भाषा, विदेशी जीवन शैली और विदेशी मूल्यों के अधीन होकर उसने भारतीय ज्ञान परंपरा से अपना मुंह मोड़ लिया। अब भारत को वापस उसकी ज्ञान परंपरा से जोड़ने के लिए जिस प्रमुख पुरुषार्थ की आवश्यकता है उसकी ओर धीरे-धीरे ध्यान दिया जा रहा है लेकिन यहां है कि किस तरह नीतियों को लागू किया जाए और वांछित परिणाम तक पहुंचा जाए। प्रोफेसर प्रदीप कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को तकनीक से जोड़ने का आवाहन किया और कहा कि आजकल ज्ञान उत्पाद की वस्तु है उसे पैदा करने की आवश्यकता होती है जिसके लिए नवाचार जरूरी हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आवाहन किया कि नकल की प्रक्रिया पर अंकुश लगाएं। प्रोफेसर राजेंद्र सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर अखिलेश कुमार सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का गहरा संबंध शैक्षणिक प्रबंधन से भी है और कुशल नेतृत्व ही इसमें परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकता है। आज के युवाओं की जरूरतों के हिसाब से शिक्षा संस्थानों को विकसित करने की आवश्यकता है जिसमें भारतीय जीवन मूल्यों और जीवन सिद्धांतों को रोपित किया जा सके। लंदन से पधारे डॉक्टर प्रदीप सिंह ने भारत की शिक्षा व्यवस्था पर जोर दिया और कहा कि हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जो अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक जरूरतों के हिसाब से पैदा  हुई हो, वह नकलची और पराई उपज ना हो। कार्यक्रम में महंत भवानी नंदन यति ने अपने आशीर्वाद में दोनों भाइयों आनंद और सानंद को ऐसा भव्य श्रद्धांजलि समारोह आयोजित करने के लिए बधाई दी और कहा कि अपने पूर्वजों का स्मरण भारतीय परंपरा का अनिवार्य अंग है। समाज को इससे शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। सदैव ग्रुप आफ कॉलेजेस के संरक्षक योगी आनंद जी ने गीता के श्लोकों को उद्धृत करते हुए अपने उद्बोधन में श्रद्धांजलि समारोह की प्रशंसा की । उन्होंने कहां कि संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाली कोई वस्तु नहीं है। अतः यत्न पूर्वक ज्ञान की साधना और उपासना मनुष्य के जीवन का उद्देश्य है । भारत की ज्ञान परंपरा में सभी का स्वागत है और सभी को यह अवसर प्राप्त है कि वह अपना आत्म विकास करते हुए अपने समाज और राष्ट्र को भी विकसित करने का कार्य करे। इस अवसर पर संगीत मार्तंड पंडित ओम्कारनाथ ठाकुर के शिष्य पद्मश्री प्रोफ़ेसर राजेश्वर आचार्य ने भारतीय ज्ञान परंपरा के शास्त्रीय और लौकिक दोनों रूपों का आख्यान किया और बताया कि ज्ञान की परंपरा अक्षुण्ण होती है और जो इस परंपरा से जुड़ जाता है वह भी अमर हो जाता है। कार्यक्रम में विशेष रुप से भाजपा जिलाध्‍यक्ष भानुप्रताप सिंह, महामंत्री ओमप्रकाश राय, राजेश्‍वर सिंह, विनोद अग्रवाल, आएसएस और एबीवीपी के पदाधिकारी, सपा के रामधारी यादव, दिनेश यादव, शम्‍मी सिंह, समीर सिंह, बीएसपी के पूर्व जिलाध्‍यक्ष अजय भारती, गाजीपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गंगा सिंह, पत्रकार धीरेंद्र श्रीवास्तव, युगांडा से पधारे मशरू साहब, बीएचयू आईआईटी के प्रोफेसर प्रभाकर सिंह, विश्व हिंदी सचिवालय मारीशस के पूर्व महासचिव प्रोफेसर विनोद मिश्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अमरेंद्र त्रिपाठी तथा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के शोधार्थी गौरव गौतम भी उपस्थित थे। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रोफेसर हरिकेश सिंह ने कहा कि ज्ञान की परंपरा मूलतः परम ज्ञान की खोज है जिसे भारतीय शास्त्रों में परा विद्या कहा गया है। जो परा विद्या को जानते हैं वही अपरा विद्या के माध्यम से भौतिक उन्नति भी करते हैं। उन्होंने कर्मवीर सत्यदेव सिंह श्रद्धांजलि समारोह में तथा इस बहाने आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में उपस्थित विद्वानों और मनीषियों के पधारने हेतु विशेष धन्यवाद प्रकट किया और आभार विज्ञापित किया। श्रद्धांजलि समारोह में गाजीपुर के शहीदों के परिवारी जन उपस्थित थे जिनमें से प्रत्येक को महंत श्री भवानी नंदन यति जी द्वारा ₹2000 की राशि साग्रह भेंट की गई। बनवासी समाज को मंच पर बैठाकर सम्‍मान किया गया। उत्‍थान फाउंडेशन और गिरनार आश्रम में रहने वाले सभी बच्‍चों को स्‍कूल बैग कि‍ट व गर्म कपड़े प्रदान किये गये। संस्था के प्रबंध निदेशक सानंद सिंह ने निशक्त जनों को कंबल बांटकर कार्यक्रम का समापन किया। कार्यक्रम को संपन्न करने में सत्यदेव डिग्री कॉलेज के निदेशक अमित रघुवंशी तथा सत्यदेव ग्रुप ऑफ कॉलेज के काउंसलर डॉ दिग्विजय उपाध्याय का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सत्यदेव फार्मेसी कॉलेज के प्राचार्य डॉ तेजप्रताप एवं डॉ राम मनोहर लोहिया डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ विजेंद्र सिंह निदेशक प्रमोद सिंह तथा सत्यदेव पॉलिटेक्निक के प्राचार्य डॉ अजीत यादव तथा आईटीआई के इंजीनियर सुनील यादव ने कार्यक्रम को संचालित करने में भागीदारी की। कार्यक्रम में सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस के चेयरमैन सावित्री सिंह तथा उनकी दोनों बहुएं निदेशक सुमन सिंह एवं डॉ प्रीति सिंह के साथ ही उनकी तीनों पुत्रियां शैलजा प्रतिमा एवं दीप शिखा उपस्थित रहे। श्रद्धांजलि समारोह में सत्यदेव ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस के ढाई हजार विद्यार्थी भी उपस्थित थे।

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