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51वें शहादत दिवस पर प्रशासनिक अमले को नही नजर आए महावीर चक्र विजेता शहीद रामउग्रह पांडेय

गाजीपुर। एक तरफ समूचा राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। जिसके तहत देश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले शहीदों को याद किया जा रहा है। वही आजादी उपरांत भी देश सुरक्षा में शहीदों को नमन किया जा रहा है। वही गाजीपुर जनपद के जखनियां तहसील स्थित ऐमाबंसी गांव निवासी शहीद रामउग्रह पाण्डेय को 51वें शहादत दिवस पर पुनः बिसरा दिया गया। विशेष बात यह कि 1971 भारत पाक युद्ध में अदम्य साहस और वीरता का परिचय देने वाले शहीद रामउग्रह पांडेय को सेना के दूसरे सर्वोच्च सम्मान महावीर चक्र से सम्मानित किया गया है। शहीद सम्मान सेवा समिति संयोजक श्रीराम जायसवाल ने प्रशासन पर उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाते हुए कहाकि एक तरफ तो समूचा राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है वही गाजीपुर की माटी के लाल महावीर चक्र विजेता शहीद रामउग्रह पांडेय के 51वे शहादत दिवस पर स्थानीय प्रशासन द्वारा एक फूल चढ़ाना भी गवारा नहीं समझा गया। गौरतलब हो कि 1971 में भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए शहीद रामउग्रह पांडेय को सेना का दूसरा सर्वोच्च सम्मान महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। जिन्हें मरणोपरांत तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी द्वारा 26 जनवरी 1972 को उनकी धर्मपत्नी श्यामा देवी को महावीर चक्र सौंपा गया था। लेकिन उसके बाद पूरा परिवार उपेक्षा का शिकार रहा। वर्ष 2012 में शहीद सम्मान सेवा समिति संयोजक श्रीराम जायसवाल स्थानीय पत्रकार के नेतृत्व में लड़ी गई लड़ाई के बाद वीर नारी श्यामा देवी को कुछ सम्मान व उनका हक मिलना शुरू हुआ। इसके बाद 2014 में तत्कालीन रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा द्वारा शहादत दिवस में उनके पैतृक गांव उपस्थित होकर शहादत को सम्मान देने का कार्य किया गया। जिसके बाद वर्ष 2016 में जखनिया रेलवे स्टेशन पर शहीद की मूर्ति भी स्थापित की गई। लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा की स्थिति जस की तस बनी रही। पिछले 8 वर्षों से श्रीराम जायसवाल के नेतृत्व में सिद्धपीठ हथियाराम मठ पीठाधीश्वर स्वामी भवानीनंदन यति के संरक्षण में शहादत दिवस मनाया जाता रहा है। जिसमें प्रशासनिक सहयोग नहीं मिला है। इस वर्ष शहीद के शहादत दिवस के अवसर पर भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ जिला संयोजक प्रमोद वर्मा के नेतृत्व में जखनियां तहसील मुख्यालय पर रेलवे स्टेशन के समीप स्थित मूर्ति पर माल्यार्पण कर नमन किया गया। वहीं शहीद के पैतृक गांव स्थित मूर्ति पर उनके परिजनों व समिति द्वारा माल्यार्पण किया गया। लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई झांकने नहीं पहुंचा। प्रशासनिक उपेक्षा का आलम यह रहा कि समूचा पार्क झाड़ियों से घिरा नजर आया। लोग प्रशासन द्वारा शहीद की उपेक्षा की चर्चा से आहत नजर आए।

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