गाजीपुर। महर्षि विश्वामित्र ऑटोनॉमस स्टेट मेडिकल कॉलेज, गाजीपुर में डायलिसिस यूनिट की कार्यक्षमता में हाल ही में किए गए सुधारों से मरीजों को बड़ी राहत मिली है। जहां पहले डायलिसिस के लिए 80 से 100 मरीजों की वेटिंग सूची होती थी और मरीजों को नंबर आने में 2 से 3 महीने लग जाते थे, वहीं अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है। पहले यूनिट में केवल 10 डायलिसिस मशीनें थीं, जिससे प्रतिदिन सीमित संख्या में ही मरीजों का उपचार संभव था। इस कारण गंभीर अवस्था में पहुँचे मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल पाता था, जिससे उनकी जान को खतरा बना रहता था। लेकिन अब कॉलेज प्रशासन द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुए मशीनों की संख्या बढ़ाकर 15 कर दी गई है, जिससे न केवल वेटिंग सूची पूरी तरह समाप्त हो गई है, बल्कि मरीज उसी दिन अपना डायलिसिस करा पा रहे हैं—बशर्ते उनके डॉक्युमेंट पूरे हों और मेडिकल जाँच पूरी हो। कॉलेज प्रशासन का सराहनीय के संयुक्त प्रयासों से यह परिवर्तन संभव हो पाया है। इस पहल से न सिर्फ मरीजों को राहत मिली है, बल्कि उनके परिवारों को भी मानसिक और आर्थिक बोझ से मुक्ति मिली है। डायलिसिस मरीजों की प्रतिक्रिया: कई मरीजों ने बताया कि उन्हें अब महीनों इंतजार नहीं करना पड़ता। डॉक्युमेंट जमा करने और प्रारंभिक जांच के बाद उसी दिन डायलिसिस की सुविधा मिल जाती है। इससे न केवल समय की बचत हो रही है, और डायलिसिस के लिए किसी और जगह भी नहीं जाना पड़ रहा है बल्कि इलाज के दौरान जोखिम भी काफी हद तक कम हो गया है। महर्षि विश्वामित्र मेडिकल कॉलेज की यह पहल अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है। समय पर डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को दर्शाता है, बल्कि मानवता की सच्ची सेवा भी है।
