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नंदगंज क्षेत्र के इंग्लिश मीडियम स्कूल शिक्षा को व्यवसाय बनाकर स्कूल संचालक हो रहे मालामाल, अभिभावक परेशान

गाजीपुर। अप्रैल माह में विद्यालय का नया सत्र शुरू हो गया है। अभिभावक अपने बच्चों का प्रवेश कराने के लिए भाग दौड़ कर रहे है। विद्यालय में पठन पाठन भी शुरू हो गया है। इसी क्रम में नंदगंज क्षेत्र में इंग्लिश मीडियम स्कूल के लोग ध्वनिविस्तारक यंत्र के साथ वाहनों से प्रचार प्रसार करने में लगे हुए है ,वही इंग्लिश मीडियम स्कूल के अध्यापक/अध्यापिकाएं अपने अपने विद्यालय की हैंडबिल लेकर घर घर जा कर प्रचार कर रहे है। इंग्लिश मीडियम स्कूलों के कमाई का सिलसिला भी बड़े पैमाने पर जारी है। स्कूल में बच्चों के प्रवेश के समय बढ़ी फीस, फंक्शन ट्रेनिंग के नाम पर आदि मदो  में काफी रकम ली जा रही है ।इसके बाद हर साल विभिन्न प्रकाशकों की किताब अधिक कमीशन के चक्कर में बदल कर विद्यालय से खरीदने के लिए मजबूर कर रहे है और उसमें भी कुछ विद्यालय अधिक कमीशन की डील कर निर्धारित दुकानों से लेने के लिए बाध्य कर करने की जानकारी मिली है। वैसे ज़्याद तक विद्यालय अपने यहां से कापी किताब दे रहे है।इसके बाद अपने यहां से महंगे दामों में स्कूल ड्रेस उपलब्ध करा रहे है ।जिससे इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश कराने में बढ़ी हुई फीस,हर साल कापी किताब,ड्रेस आदि लेने में अभिभावकों की इस मंहगाई के दौर में कमर टूट जा रही है। लेकिन जनपद मुख्यालय पर बैठे आला अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं जिससे इंग्लिश मीडियम स्कूल संचालक मनमानी कर मालामाल हो रहे है ।निजी स्कूलों की इस मनमानी को रोकने के लिए जनपद के जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है और  इस ओर कोई कार्रवाई करने के बजाय शिकायतों का इंतजार कर रहे है। पिछले कई सालों से इंग्लिश मीडियम स्कूल की मनमानी को अब तक नहीं रोक पाए।न ही निजी स्कूल पर जाकर जांच किए है। इंग्लिश मीडियम स्कूल में वार्षिक परीक्षा के बाद एक अप्रैल से प्रवेश शुरू हो गया है और नया सत्र शुरू हो गया है। कमाई के लिए इंग्लिश मीडियम स्कूल के लोग अभिभावकों पर जल्द से जल्द कापी-किताबें खरीदने का दबाव बना रहे हैं। अभिभावक कहीं से पुरानी किताबें न ले लें, इसके लिए प्रकाशन बदल दिया गया है। मजबूरी में अभिभावकों को इन किताबों को खरीदना पड़ रहा है। बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल  में पढ़ाना अब काफी मुश्किल हो गया है। प्रशासन की उदासीनता से स्कूल संचालक मनमाने ढंग से कापी-किताबे बेच रहे है। हर वर्ष किताबे बदल दी जा रही है। अभिभावकों को स्कूल से ही कापी-किताब, ड्रेस खरीदने के लिए स्कूल संचालकों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। कापी-किताब खरीदने में लगभग 3500 से 6000 रुपए तक लग जा रहा है। ड्रेस, टाई, बेल्ट, जूता तो और महंगा है।  स्कूल के लोग बच्चों को कापी-किताबों बेच कर खूब कमाई कर रहे हैं। स्कूल से मिलने वाली कापी —किताब और बाहर से लेने पर मूल्य में काफी पैसे का अंतर है। इतने बड़े पैमाने पर जिले के नंदगंज क्षेत्र में  कमीशनबाजी का खेल हो रहा है और अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। इस मनमानी पर अंकुश लगाने में नाकाम है।अभिभावकों का कहना है कि इंग्लिश मीडियम स्कूल में जाकर आला अधिकारियों को जांच कर इस मनमानी पर अंकुश लगाना चाहिए और उन विद्यालयों के विरुद्ध कार्यवाही करना चाहिए।ताकि अभिभावकों को राहत मिल सके। बाजार के निवासी पंकज मद्धेशिया का कहना है कि इंग्लिश मीडियम स्कूल में इतनी  अधिक कमाई है कि हर साल नए नए स्कूल खुल रहे है । महंगी फीस और कापी /किताब खरीदने में  मिडिल क्लास के अभिभावक परेशान हो जा रहे है। सुनील यादव का कहना है कि महंगी फीस और किताब पर इनके द्वारा कि जा रही मनमानी पर सरकार को अंकुश लगाना चाहिए।एम.खालिद का कहना है कि जब अप्रैल का महीना आता है  बच्चों का इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश कराने में महंगी फीस और किताब खरीदने में परेशानी उठानी पड़ती हैं।जिस घर के तीन—चार पढ़ने वाले बच्चे है उन्हें हर साल किताब खरीदना पड़ता है क्योंकि स्कूल के लोग ज़्याद कमीशन के चक्कर में प्रकाशन बदल देते है जिससे काफी भार पड़ जाता है।सरकार को चाहिए कि उन स्कूलों द्वारा जा रही मनमानी की जांच कर रोक लगाना चाहिए।

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