गाजीपुर: आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, सोहाँव बलिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार ने कहा कि किसान भाई एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाकर खेती-बाडी के अंतर्गत फसल, पशुधन और अन्य कृषि गतिविधियों का समावेश करें। जिससे कृषि उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ, लागत को कम करते हुए पर्यावरण की सुरक्षा भी की जा सके। किसानों की आय बढ़ाने में एकीकृत कृषि प्रणाली का बहुत महत्व है। एकीकृत कृषि प्रणाली में विभिन्न प्रकार की फसलें, पशुधन और अन्य कृषि गतिविधियों को एक ही स्थान पर एकीकृत किया जाता है। इससे किसानों को विविधता लाभ मिलता है, जिससे उनकी आय बढ़ती है।
एकीकृत कृषि प्रणाली के घटक
- फसल उत्पादन: विभिन्न प्रकार की फसलें जैसे कि अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जियां और फल।
- पशुधन पालन: मवेशी, भेड़, बकरी, मुर्गी और अन्य पशुओं का पालन।
- कृषि-वानिकी: वृक्षारोपण और वानिकी की गतिविधियाँ।
- मछली पालन: मछली पालन और जलीय जीवों का पालन।
- कृषि-उद्योग: कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और विपणन की गतिविधियाँ।
एकीकृत कृषि प्रणाली में विभिन्न गतिविधियों को एक ही स्थान पर करने से जोखिम कम होता है। यदि एक फसल खराब हो जाती है, तो अन्य गतिविधियों से आय प्राप्त की जा सकती है।
संसाधनों का बेहतर उपयोग
एकीकृत कृषि प्रणाली में संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जाता है। इससे किसानों को अपने संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने में मदद मिलती है, जिससे उनकी आय बढ़ती है।
बाजार की मांग के अनुसार उत्पादन
एकीकृत कृषि प्रणाली में किसान बाजार की मांग के अनुसार उत्पादन कर सकते हैं। इससे उन्हें अपने उत्पादों को बेहतर मूल्य पर बेचने में मदद मिलती है, जिससे उनकी आय बढ़ती है।
रोजगार के अवसर
एकीकृत कृषि प्रणाली में विभिन्न गतिविधियों को एक ही स्थान पर करने से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। इससे किसानों के परिवार के सदस्यों को भी रोजगार मिलता है, जिससे उनकी आय बढ़ती है।
पर्यावरण संरक्षण
एकीकृत कृषि प्रणाली में पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखा जाता है। इससे किसानों को अपने खेतों की उर्वरता बनाए रखने में मदद मिलती है, जिससे उनकी आय बढ़ती है। एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाने से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलती है।