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बढ़ते तापमान से रबी की फसलों पर पड़ेगा प्रभावः प्रो. रवि प्रकाश मौर्य

गाजीपुर। सर्दी के मौसम में जहां तापमान घटना चाहिए,  वहां अप्रत्याशित रूप से बढ़ोत्तरी का असर फसलों की बढ़वार और पैदावार पर होने की संम्भावना  बढ़ गई है। पिछले दिनों से हर दिन बढ़ते तापमान को लेकर अब  कृषि विशेषज्ञ भी रबी की फसलों में 10 प्रतिशत  तक की गिरावट मानने लगे हैं। पिछले एक सप्ताह से हर दिन बढ़ रहे तापमान और बढ़ती गर्मी का असर रबी की फसलों पर होने की संम्भावना बढ़ गई है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार रात के समय फसलों में श्वसन की रफ्तार बढ़ जाती है। रबी की फसलों में 5 से 6 डिग्री रात का तापमान फायदेमंद रहता है, लेकिन पिछले दिनों से यह तापमान 6 से 10 डिग्री बना हुआ है। रात में जरूरत से दोगुना अधिक दर्ज हो रहा तापमान फसलों के लिए नुकसानदायक होता है।  रबी फसलों की बुआई अधितकर   अक्टूबर -नवंबर में होती है। ऐसे में देर से  दिसंबर –  जनवरी में बुआई करने वाले किसानों को ज्यादा नुकसान होगा। यह ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव है। मौसम आगे खिसका है, उतार-चढ़ाव ज्यादा हो गया है। तापमान बढ़ने से गेहूं के फसल में बाद में आने वाले फूल अचानक आ आते हैं। अभी तना भरपूर विकसित नहीं हुआ है। ऐसे में फसलों का विकास प्रभावित होगा। जो तापमान बुवाई के दो महीने बाद की जरूरत वाला तापमान अभी मिलने से यह नुकसान संभव है। एक डिग्री तापमान बढ़ने से फसलों में 10 फीसदी पानी की जरूरत बढ़ जाती है। लगातार सात दिन तक तापमान में बढ़ोतरी का असर फसलों के लिए काफी होता है। दिन और रात के तापमान का फसलों पर अलग-अलग प्रभाव होता है। रात में श्वसन (रेस्पिरेशन) की रफ्तार बढ़ जाती है। उसके लिए न्यूनतम तापमान 5 से 6 डिग्री होनी चाहिए। वर्तमान में 9 से 12 डिग्री रिकॉर्ड किया जा रहा है। दिन का तापमान 20-25 डिग्री होना चाहिए जो 27-28 दर्ज हो रहा है। चना में तापमान बढ़ने से परिपक्वता जल्दी आएगी। फसल जल्दी पक जाएगी। चने की फसल के लिए जड़ों का गहराई तक जाना जरूरी होता है। तापमान में पानी की जरूरत होगी, जो फसल के लिए नुकसानदायक है। मटर की फसलों को भी नुकसान होगा। गेहूं की फसल की अच्छी बढ़वार और उपज में तापमान की भूमिका प्रमुख होती है। गेहूं में दाना भरने के समय 30 डिग्री से ऊपर का तापमान फसल को प्रभावित करता है। बदलते जलवायु परिवर्तन से आने वाले सालों में 20 फीसदी उत्पादन में कमी की आशंका है। सरसो की फसल में तापमान बढ़ने से पैदावार में 10-15 फीसदी की गिरावट संभव है।

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