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राजतिलक की तैयारी, मंथरा कैकेई संवाद, कोप भवन लीला का मंचन देख दर्शक हुए भावुक

गाजीपुर। अति प्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वावधान में लीला के चौथे दिन 1 अक्टूबर मंगलवार शाम 7:00 बजे हरिशंकरी स्थित श्रीराम चबूतरा पर राजतिलक की तैयारी, मंथरा कैकेई संवाद एवं कोप भवन के लीला का मंचन हुआ। मन्चन से पूर्व कमेटी के उपाध्यक्ष डॉ0गोपाल जी पांण्डेय, मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, उपमंत्री पं0 लव कुमार त्रिवेदी, प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी, मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल द्वारा प्रभु श्रीराम सीता लक्ष्मण का आरती पूजन किया गया। पूजन आरती बाद लीला की शुरुआत बन्दे बाणी विनायकौ आदर्श रामलीला मंडल के कलाकारों द्वारा शुभारंभ हुआ। मन्चन में दर्शाया गया की एक बार चक्रवर्ती महाराज दशरथ अपने मंत्रियों के साथ अपनी राज दरबार में बैठकर विचार विमर्श कर रहे थे। धीरे-धीरे बुढ़ापा का असर शुरू हो गया है। विचार किया कि अयोध्या का राजतिलक राम को सौप कर इस नश्वर शरीर को भगवत भजन में लगाना चाहिए। इस बात को सोचकर महाराज दशरथ अपने मंत्री व दरबारियों के साथ कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ के आश्रम पर पहुंच कर वे गुरुदेव की चरण वंदना करके बोले कि मुझे धीरे-धीरे बुढ़ापा महसूस हो रहा है। मैंने सोचा है कि अयोध्या का राजपाठ अपने बड़े पुत्र राम को देकर मैं भगवत भजन में समय बिताऊ। महाराज दशरथ की बात को सुनकर गुरुदेव महर्षि वशिष्ठ ने महाराज दशरथ से कहा कि हे राजन आपका विचार बहुत ही उत्तम है। अयोध्या का राज आपके बड़े पुत्र राम ही संभाल सकते हैं। आप जल्द से जल्द अयोध्या का राजपाठ राजतिलक कर अपने बड़े पुत्र राम को सौंप दें। गुरुदेव की आज्ञा पाकर महाराज दशरथ अपने दरबार में आकर राजतिलक की तैयारियां शुरू करवाते हैं। उधर दासी मंथरा किन्हीं कारणवश नगर में घूमते हुए पहुंच गई। उसने देखा कि अयोध्या नगर ध्वजा पताकाओं से सजा हुआ है। उसने नगर वासियों से पूछा कि नगर क्यों सजाया गया है तो पुरवासियों ने बताया कि राम के राजतिलक की तैयारी की जा रही है। कल सुबह महाराज द्वारा अयोध्या का राज अपने बड़े पुत्र राम को देंगे। इतना सुनते ही दासी मंथरा उदास होकर महारानी कैकेई के पास जाकर  बोली  कि महाराज दशरथ अयोध्या का राजतिलक अपने बड़े पुत्र राम को देगें। जब महाराज अयोध्या का राज अपने बड़े पुत्र राम को सौंप देंगे तो आपके पुत्र भरत का क्या होगा। महारानी जी आप मेरी बात माने तो अपने राजसी वस्त्र आभूषण को उतार कर फटे पुराने कपड़े धारण करके कोप भवन में जाकर जमीन पर लेट जाएं। महारानी कैकई अपने दासी के बात को सुनकर कोप भवन में चली जाती है। इस अवसर पर उपाध्यक्ष गोपाल जी पाण्डेय, मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, संयुक्त मंत्री लक्ष्मी नारायण,उपमंत्रीपं0 लवकुमार त्रिवेदी,मेला प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी, मेला उप प्रबंधक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, अनुज अग्रवाल मीडिया प्रभारी पं0कृष्ण बिहारी त्रिवेदी कृष्णांश,राम सिंह यादव रहें।

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