गाजीपुर। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वावधान में स्वाधीनता आंदोलन के योद्धा,मजबूत सेनानी एवं उर्दू की दुनिया के अजीम शायर रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी जी की जयंती के पुर्व उनकी स्मृति में आज शाम दिनांक 25 अगस्त को अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के जिलाध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में उन्हीं के चंदन नगर स्थित आवास पर विचार एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी आरंभ होने के पूर्व महासभा के सभी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके बताए रास्ते पर चलकर देश की आज़ादी की रक्षा करने का संकल्प लिया। इस गोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए जिलाध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि फिराक गोरखपुरी केवल विख्यात शायर ही नहीं बल्कि वह आजादी की लड़ाई के महान योद्धा थे। उनके अंदर देशभक्ति की भावना कूट कूट कर भरी थी। उनके अंदर देश को आजाद कराने का जुनून इस कदर था कि वह डिप्टी कलेक्टर के पद को ठुकराकर गांधी के आह्वान पर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े जिसकी वजह से उन्हें डेढ़ साल की जेल की सजा भी हुई। यही देशभक्ति की भावना उनके साहित्य में भी दृष्टिगोचर होती है। उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से भारतीय समाज को जागृत करने का भी काम किया। इस गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता महासभा के प्रदेश सचिव मुक्तेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव ने उन्हें एक युग निर्माता शायर और समालोचक बताया। उन्होंने कहा कि वह एक सच्चे भारतीय थे और उतने ही स्वाभिमानी। नेहरू जी उनके अजीज मित्र थे। वह इंदिरा जी को बेटी कहकर बुलाते थे। आर्थिक तंगी होने के बावजूद भी उन्होंने नेहरू जी जैसे मित्रों से मदद न लेकर अपने मकान को बेचकर अपने पिताजी द्वारा छोड़े गए कर्ज, अपने छोटे भाइयों को तालीम और बहनों की शादियों के अलावा अपनी और जरूरतों को पूरा किया। आज पूरा देश उन्हें बहुत ही शिद्दत के साथ याद कर रहा है। फिराक साहब की शायरी में जो प्रतिध्वनियां और गूंज हमें सुनाई देती है उनमें एक अद्वितीय सुहावनापन है,भारत के धरती की सुगंध हैं और भारतीय संस्कृति का मातृत्व शपर्श है।आज भी उनकी शायरी से पूरी दुनिया महक रही है। इस अवसर पर इस कार्यक्रम के दूसरे सत्र में विचार गोष्ठी के उपरांत काव्य गोष्ठी में अपनी रचनाओं के माध्यम से देश में लगातार बढ़ रही धार्मिक कट्टरता, बदलती इंसानी फितरत और समाज की कुरीतियों और कुप्रथाओं तथा राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों के गिरती नैतिकता पर तंज कसते हुए कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भी फिराक साहब को नमन किया। देश में बढ़ रहे धार्मिक कट्टरता एवं सम्प्रदायिकता पर कटाक्ष किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से परमानन्द श्रीवास्तव, सत्य प्रकाश श्रीवास्तव, मनीष श्रीवास्तव, अमरनाथ श्रीवास्तव,अमर सिंह राठौर,गौरव श्रीवास्तव, अनूप कुमार श्रीवास्तव, अश्वनी श्रीवास्तव, प्रियांशु,आर्यन,हर्ष आदि उपस्थित थे।इस गोष्ठी की अध्यक्षता महासभा के जिलाध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव एवं संचालन जिला महामंत्री अरूण सहाय ने किया।
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