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खड़बा क्षेत्र के चालीस गांवों की कुलदेवी है हरिहरपुर की काली माता, बोले स्‍वामी भवानीनंदन यति- चेतना का उत्‍सव ही नवरात्र है

गाजीपुर । सिद्धपीठ हथियाराम मठ की शाखा कालीधाम हरिहरपुर में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी नौ अप्रैल से नवरात्रि महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। मठ के 26वें पीठाधीश्वर एवं जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति जी महाराज के संरक्षकत्व में होने वाले इस महानुष्ठान के दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन पूजन के साथ ही श्रद्धालुओं द्वारा देवी माता का दर्शन पूजन किया जायेगा। इस वृहद अनुष्ठान में पुण्य लाभ की कामना के साथ शिष्य श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। करीब आठ सौ वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ हथियाराम मठ की शाखा मां काली मंदिर खड़बा क्षेत्र के चालीस गांवों में रहने वाले लोगों की कुल देवी हैं। माता के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए देश के कोने-कोने से शिष्य-श्रद्धालु पहुंचकर श्रद्धाभाव से देवी माता और पीठाधिपति महामंडलेश्वर भवानीनन्दन यति जी महाराज के श्रीचरणों में श्रद्धानवत होते हैं। महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति ने कहा कि हमारी चेतना के अंदर सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण- तीनों प्रकार के गुण व्याप्त हैं। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते हैं। इन 9 दिनों में पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना करते हैं, दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना का महत्व है। उन्होंने देवी दुर्गा की आराधना को सर्वदा फलदायक बताते हुए जनता से पूजा-पाठ और संत समागम से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कर्म ही पूजा नहीं, पूजा ही कर्म है, का मूलमंत्र जीवन में अपनाएं। उल्लेखनीय है कि नवरात्रि महोत्सव के दौरान यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु नर नारी दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं। भक्तों के लिए भंडारा की व्यवस्था रहती है, जिसमें महाप्रसाद ग्रहण कर श्रद्धालु जयकारा लगाते हुए अपने घरों को लौटते हैं। इस धाम में विद्यमान दक्षिणमुखी देवी प्रतिमायें अलौकिक और पुण्यफल दायक हैं। यह मंदिर व इसमें स्थापित मां काली की तीन मूर्तियां स्वयं में काफी महत्व रखती हैं। बताते हैं कि सच्चे हृदय से इनका दर्शन करने मात्र से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी होती है। मन्दिर में विद्यमान तीन प्रतिमाएं मां के तीनों रूपों महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली के रूप में हैं, जिनकी पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।

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