गाजीपुर। वासंतिक नवरात्र की शुरुआत चैत मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी नौ अप्रैल से हो रही है। देवी के पूजन-अर्चन की तैयारी घर से लेकर देवी मंदिरों तक शुरू हो गई है। राशि अनुसार देवी की पूजा और मंत्रों का जप करने उनकी कृपा बरसती है। आचार्य शुभम मिश्रा और दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि सभी राशियों की पूजन विधि और भोग अलग-अलग होते हैं। इसका पालन करने से भक्तों की समस्त बाधाएं दूर होती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है। उन्होंने बताया कि जिन्हें अपनी राशि के बारे में नहीं पता, वह मां को प्रसन्न करने के लिए लाल गुड़हल के फूल से पूजन करें और खीर-पूड़ी व हलवा आदि का भोग लगाएं।
राशि के अनुसार पूजन, भोग और मंत्र
मेष: स्कंदमाता की पूजा करें। लाल फूल से पूजन व दूध से बने पेड़े का भोग लगाएं। सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ करें। ॐ ह्रीं उमा देव्यै नमः।
वृषभ: मां महागौरी की पूजा करें। सफेद मिठाई और सफेद फूल चढ़ाएं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। ॐ क्रां क्रीं क्रू कालिका देव्यै नमः।
मिथुन: मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा करें। मां को लाल फूल, चीनी और पंचामृत अर्पित करें। ॐ दुं दुर्गायै नमः।
कर्क: देवी शैलपुत्री की पूजा करें। बताशा और चावल का भोग लगाएं। अर्गला व कीलक स्तोत्र का पाठ करें। ॐ ललिता देव्यै नमः।
सिंह: देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा करें। रोली और केसर चढ़ाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। ॐ ऐं महासरस्वती देव्यै नमः।
कन्या: मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करें। खीर का भोग लगाएं, कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। ॐ शूल धारिणी देव्यै नमः।
तुला: महागौरी की पूजा करें। मां को लाल चुनरी और फूल चढ़ाएं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। ॐ ह्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
वृश्चिक: कालरात्रि स्वरूप की पूजा करें। सुबह और शाम मां दुर्गा की आरती करें। ॐ शक्तिरूपायै नमः या ॐ क्लीं कामाख्यै नमः।
धनु: स्कंदमाता की पूजा करें। पीले फूल और मिठाई का भोग लगाएं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
मकर: कात्यायनी स्वरूप की पूजा करें। माता को नारियल व चुनरी चढ़ाएं। दुर्गा चालीसा का पाठ करें। ॐ पां पार्वती देव्यै नमः।
कुंभ: मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करें। हलवे का भोग लगाएं और देवी कवच का पाठ करें। ॐ पां पार्वती देव्यै नमः।
मीन: चंद्रघंटा रूप की पूजा करें। माता रानी को पीला केला व पीला फूल चढ़ाएं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं दुर्गा देव्यै नमः।