गाजीपुर। दुनिया को मुट्ठी में कैद करने की ख्वाहिश रखने वाले डॉन मुख्तार अंसारी को अंत में काली बाग के कब्रिस्तान में 7×3 फीट की मिलेगी जमीन। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार मुख्तार अंसारी के शव को उनके पिता सुभानुल्लाह अंसारी के कब्र के पीछे कब्र खोदी जा रही है, वहीं पर उनको दफनाया जायेगा। 1982 में मुहम्मादाबाद में तहबाजारी के ठेके को लेकर हरिहरपुर के निवासी सच्चिदानंद राय की सरेआम गोली मारकर मुख्तार अंसारी ने हत्या कर दी थी, इस घटना से मुख्तार अंसारी ने जरायम की दुनिया में कदम रखा। शुरुआती दौर में मकनू सिंह व साधू सिंह के सानिध्य में रहकर पूरे पूर्वांचल में अपराध की दुनिया में मुख्तार अंसारी ने हलचल मचा दिया था। लगभग 40 वर्षों तक अपराध की दुनिया में मुख्तार अंसारी ने अपनी एक नई पहचान बनायी। पूर्वांचल में पहली बार राजनीति और अपराध का काकटेल बनाकर सत्ता के गलियारों में अपनी एक हनक बनायी। इसके बाद पहली बार कोयला व्यवसायी गोयल अपहरण कांड में दिल्ली में वर्ष 1993 में गिरफ्तार हुए तभी से जेल के अंदर और बाहर रहकर अपने अपराधिक सल्तनत को लगातार बढ़ाते रहे। मऊ दंगे के बाद जेल चले गये और 2004 से ही आजतक जेल में ही थे। मुख्तार अंसारी पर 62 गंभीर अपराध के मुकदमे दर्ज थे। आधा दर्जन मामलों में उनको आजीवन कारावास सहित सजा मिल चुकी है। मुख्तार अंसारी के निधन की खबर से गाजीपुर में पुलिस अलर्ट मोड में है। उनके आवास और कब्रिस्तान में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है।
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