Breaking News
Home / ग़ाज़ीपुर / श्री भरत आगमन, मनावन एवं विदाई का मंचन देख दर्शक हुए भावविभोर

श्री भरत आगमन, मनावन एवं विदाई का मंचन देख दर्शक हुए भावविभोर

गाजीपुर। अति प्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वाधान में वन्दे वाणी वि0नायकौ आदर्श रामलीला मण्डल द्वारा लीला के आठवे दिन 17 अक्टूबर को स्थान सकलेनाबाद में भरत आगमन, मनावन व विदाई लीला का मंचन किया गया। लीला का शुरूआत भाजपा के उपाध्यक्ष अभिनव सिंह व मीडिया प्रभारी कार्तिक गुप्ता और रामलीला कमेटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी बच्चा द्वारा भगवान श्रीराम सीता तथा लक्ष्मण को माल्यार्पण व आरती करके किया गया। इसके बाद लीला का शुभारम्भ के क्रम में वनवास काल के दौरान श्रीराम लक्ष्मण सीता श्रृंगवेरपुर से चलकर भारद्वाज मुनि का दर्शन करते हुए महर्षि बाल्मिकी सहित सभी तपस्वियों मुनियों को दर्शन देते हुए एवं उनका आशीर्वाद लेते हुए आगे चलते है। उन्होंने बाल्मीकी मुनि से अपने रहने का स्थान पूछा तो बाल्मीकी मुनि द्वारा बताया गया कि चित्रकूट पर्वत पर जहाँ ऋषि मुनि कई वर्षों से आपके दर्शन हेतु तप करतेे है हे राम आप वही निवास करें। श्रीराम उनके आज्ञा से फिर जंगल की ओर चलते हुए रास्ते में उन्हे कोल भिल्ला से भी भेट हो जाता है। अंत में श्रीराम चित्रकूट में वनवासियों के सहयोग से पर्णकूटी बनाकर निवास करने लगे। उधर महाराज भरत शत्रुघ्न गुरू वशिष्ठ केे अज्ञा अनुसार अयोध्या के लिए अपने ननिहाल से सुमन्त के साथ प्रस्थान करते है। उन्होंने अयोध्या पहुँचकर चारो ओर सन्नाटा देखा। वे रथ से उतकर कैकेयी के पास जाकर पिता दशरथ भइया राम के विषय में जानना चाहा तो कैकेयी बताती है कि पिता जी साकेत लोक और राम वन में चले गए है। अयोध्या का राज तुम्हे मिल गया है। इतना सुनते ही भरत शत्रुघ्न रोने लगते है उसके बाद गुरू वशिष्ठ व पूर्वासियों एवं सभी माताओं के साथ रथ पर सवार होकर श्रीराम को मनाने के लिए चित्रकूट चल देते है। जब महाराज भरत श्रृंगेवरपुर पहुँचते है तो वहाँ के राजा निषाद राज अपने सैनिकों के साथ भरत को रोक लेते है और उनसे सारा समाचार पूछकर उन्हें लेकर चित्रकूट केे लिए प्रस्थान कर देते है। वहाँ पहुँचकर उन्होंने भइया लक्ष्मण से भरत केे आने का समाचार बताते है। लक्ष्मण भरत केे आगमन का सूचना सुनकर क्रोधित हो जाते है, उनके क्रोध को देखकर श्रीराम उन्हें समझाते है कि लक्ष्मण क्रोध शान्त करो। उसके बाद भइया भरत के आने की सूचना पाकर वे सिंहासन से उठकर भरत के लिए चल देते है। उधर भरत शत्रुघ्न तीनों माताओं गुरू वशिष्ठ सहित पूर्वासियों के साथ रथ से उतरकर भइया राम के पास दौडते हुए जाकर साष्टांग दण्डवत करते है। इसके अलावा भरत जी श्रीराम को अयोध्या लौटने के लिए निवेदन करते है। श्रीराम भरत के निवेदन को सुनकर कहते है कि हे भरत माता पिता के आज्ञा के अनुसार मुझे 14 वर्ष तक वन में ही बिताना है। अतः आप अयोध्या के लिए लौट जाओ, फिर भी भरत जी आग्रह करते है कि भइया आपके अलावा मैं राजपाठ नही संभाल सकता। भरत के बात को सुनकर श्रीराम अन्त में अपना चरण पादुका (खडाऊ) देकर भरत जी को विदा करते है। इस दृश्य को देखकर दर्शनार्थियों के आंखों में अश्रु पात बहते देखा गया और साथ ही जय श्रीराम के जयकारा से लीला स्थान गूज उठा। इस अवसर पर कमेटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, उपमंत्री लवकुमार त्रिवेदी, प्रबन्धक विरेश राम वर्मा, उप प्रबन्धक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, मनोज कुमार तिवारी, रामसिंह यादव, विशम्भर नाथ गुप्ता आदि रहे।

[smartslider3 slider="4"]

About admin

Check Also

मुख्तार अंसारी था देश का सबसे बड़ा माफिया, सपा प्रत्याशी का बयान निंदनीय- आशुतोष राय

गाजीपुर। भाजयुमो के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष आशुतोष राय ने पत्रकारो को बताया कि मुख्‍तार अंसारी …