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स्वतंत्रता सेनानी कामरेड बालरूप शर्मा की 20वीं पुण्यतिथि पर दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

गाजीपुर: महान स्वतंत्रता सेनानी कामरेड बालरूप शर्मा जी की बीसवीं पुण्यतिथि एमजेआरपी पब्लिक स्कूल सभागार में मनायी गई। सर्वप्रथम कामरेड बालरुप शर्मा जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर सभी ने अपने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया। तत् पश्चात स्वतंत्रता सेनानी बालरूप शर्मा जी के जीवन पर आधारित अतिथियों द्वारा पुस्तक का विमोचन किया गया।स्वतंत्रता आंदोलन में कामरेड बालरूप शर्मा जी की योगदान पर चर्चा करते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेश कुशवाहा ने विचार गोष्ठी में  उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश की आजादी में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। नमक सत्याग्रह में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले 1932 में तत्कालीन गवर्नर मैलकम हेली किसानों से लगान वसूलने का दबाव बढ़ने के लिए जनपद गाजीपुर आ रहा था और बालक बालरूप शर्मा जी ने हम उम्र 15 से 20 नौजवान साथियों के साथ गवर्नर को काला झंडा दिखाने का निर्णय लिया।जालिम अंग्रेज गवर्नर के सामने ऐसा करना अत्यधिक जोखिम भरा काम था और गोली भी मारी जा सकती थी।परंतु पुलिस ने पहले ही नौजवानों को गिरफ्तार कर चुनार जेल भेज दिया जहां उन सभी पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चला।जिसमें बालरूप शर्मा व शिवाजी सिंह को 5 वर्ष 3 माह की कठोर सजा सुनाई गई।अंग्रेजों के विरुद्ध बंदरी सेना का नेतृत्व करने वाले 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़ करके हिस्सा लिया।आजादी के संघर्ष को धार देने व क्रांतिकारियों को मदद करने के लिए ट्रेन डकैती से सरकारी खजाना प्राप्त किए जाने का निर्णय लिया गया।इसी क्रम में गोरखपुर मंदिर के पास बाग में बैठक बुलाई गई।भगवान शुक्ला को मोर्चा का कमांडर और बालरूप शर्मा को नेता चुना गया।24 मार्च 1942 को गोरखपुर के सहजनवा स्टेशन के पास आमी नदी के किनारे बालरूप शर्मा ने नेतृत्व करते हुए ट्रेन को रोक कर बारह क्रांतिकारियों के साथ खजाना लूट लिया।ट्रेन डकैती के साथ लाल पर्चा भी क्रांतिकारियों द्वारा बांटा गया।जिसमें कहा गया ” नौजवानों भारत माता बार-बार गुलाम ना होंगी और ना तुम्हारी जवानी ही बार-बार आएगी।याद रखो संसार कायर व बुजदिलों के लिए नहीं है। यदि तुम अपने जन्म सिद्ध अधिकार के लिए लड़ने से हिचकते हो तो दुनिया में तुम्हारा अस्तित्व कदापि नहीं रह सकता।पराधीनता की बेड़ियो में जकड़ी भारत माता तुम्हारा मुंह देख रही है याद रखो,बलिदान का अनोखा जौहर दिखाने का ऐसा अवसर न मिलेगा”।जो बाद में स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास का अत्यंत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज साबित हुआ।सहजनवा ट्रेन डकैती के सभी आरोपियों को लखनऊ जेल भेज दिया गया था।बालरूप शर्मा को गिरफ्तार कर गोरखपुर जेल भेज दिया गया था।जहां पर इंद्रप्रताप यादव,कैलाशपति, विद्याधार शाही जैसे क्रांतिकारी पहले से ही जेल में बंद थे।बेड़ियो सहित बालरूप शर्मा अपने साथी सहित जेल की दीवार फाद कर नेपाल भाग गए थे।न्यायालय ने बालरूप शर्मा को इस कांड का नेता माना दोबारा पकड़े जाने के बाद उनके ऊपर अलग से मुकदमा शुरू हुआ और साथियों सहित दो-दो काले पानी की सजा दी गई।जेल में बंद देशभक्ति कैदियों के विरुद्ध उत्पीड़न की कार्यवाही लगातार बढ़ती जा रही थी ऐसे में बालरूप शर्मा जी ने गाजीपुर व बनारस के जेलर को बोतल बम के माध्यम से सबक सिखाने का निर्णय लिया।वह अपनी युक्ति में काफी हद तक सफल भी रहे और तत्कालीन जेलरों के दिलो दिमाग पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ा।आजादी से पहले तथा बाद में भी दमनकारी नीतियों के विरुद्ध संघर्ष करते रहे।मुख्य अतिथि पूर्व विधायक मा०अमिताभ अनिल दुबे जी ने कहा कि कामरेड बालरूप शर्मा क्रांतिकारी पक्ष के थे शहीद भगत सिंह को अपना आदर्श मानते थे।चंद्रशेखर आजाद व सुभाष चंद्र बोस जी के जीवन से अधिक प्रभावित रहे और उनके सपनों का भारत बनाना चाहते थे।सरल स्वभाव, कर्मठ विचारधारा,मिलनसार व वेशभूषा से साधारण किसान, मजदूर लगते थे।बाल्यावस्था से लेकर गुलामी से देश को स्वतंत्र कराने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध कई बार जेल की यातनाएं सहने वाले कामरेड बालरूप शर्मा जी अपने जीवन के अंतिम समय तक कल कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों की लड़ाई,उनके ऊपर होने वाले अत्याचार,गरीब,मजदूरों के अधिकार को लेकर क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी,ट्रेड यूनियन और मजदूर संगठन के माध्यम से मानवीय मूल्य को प्रतिस्थापित करने का कार्य करते रहे।मृत्युपर्यंत राष्ट्र और समाज की सेवा में पूरी निष्ठा के साथ लग रहे।स्वतंत्रता सेनानी होने के बाद भी पेंशन नहीं लेने वाले कामरेड बालरूप शर्मा जी आज हम सब के बीच में नहीं है लेकिन उनका क्रांतिकारी जीवन और संघर्ष हम सभी के साथ आने वाली पिढ़ियों के लिए प्रेरणा देता रहेगा। गोष्ठी में समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष श्री गोपाल यादव, रामराज सिंह, युद्धिठर तिवारी, राजेश गुप्ता, जनार्दन राम, ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा,राव विरेन्द्र, श्री कान्त पाण्डेय,जय प्रकाश कुशवाहा,अलगू कुशवाहा, श्री एन सी लाल,श्री चन्द्रपति यादव, केशरी यादव,अनिल कुशवाहा, नरेंद्र सिंह,दुखरन,प्रिंस कुशवाहा,राम अवध कुशवाहा, रामनिवास, सत्येन्द्र,मनोज कुशवाहा आदि साथियों सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।विचार गोष्ठी की अध्यक्षता समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष रामधारी सिंह यादव व संचालन दिनेश चन्द्र शर्मा ने किया। गोष्ठी के संयोजक हनुमान जी सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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