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14 साल के अहसन ने पढ़ाई रमज़ान की तरावीह, आलमी मुल्क़ में अमन-चैन और खुशहाली के लिये मांगी दुआएं

गाज़ीपुर। माहे-रमज़ान पूरी दुनिया के मुसलमानों में बड़े ही रहमतों, बरक़तों और फ़ज़ीलत का महीना के नाम से जाना जाता है. बताते हैं कि इसी मुक़द्दस माह में मुसलमानों की पवित्र किताब क़ुरान नाज़िल हुई थी. इस माह में क़ुरान की तिलावत और एक ख़ास नमाज़ तरावीह का एहतेमाम भी बड़े ग़ौर-फ़िक़्र के साथ की जाती है. नमाज़े तरावीह देश की लगभग सभी मस्जिदों में और कुछ घरों में भी बड़े ही एहतेमाम के साथ पढ़ाई जाती है जिसको अमूमन क़ुरान को कंठस्थ कर लेने वाले हाफ़िज़ ही पढ़ाया करते हैं. गौरतलब है कि नगर मुहम्मदाबाद में सिर्फ़ 14 साल के एक बच्चे ने क़ुरान को हिफ़्ज़ कर नमाज़े-तरावीह को पढ़ाया, जिसकी चर्चा का विषय नगर सहित पूरे जनपद में बना रहा. उस नन्हे हाफ़िज़ का नाम अहसन आरिफ़ है जो कि नगर के ही एक स्कूल के प्रबंध निदेशक अब्दुल आरिफ़ के बेटे हैं। अहसन के पिता का सपना था कि बेटे को दुनियावी तालीम/शिक्षा के साथ दीन की भी तालीम  को देना ज़रूरी समझा. इसी तालीम हासिल के उद्देश्य को लेकर बच्चे के पढ़ाई में आने वाले हर बाधा को दूर कर मंज़िल को पाने में क़ामयाबी हासिल किया। पिता आरिफ बताते हैं कि यदि इरादे नेक और इच्छा शक्ति मज़बूत हो तो हर बाधा को अल्लाह की मदद और करम से दूर किया जा सकता है। अहसन के परिवार में मां मुसर्रत जहाँ और एक छोटी बहन असरा आरिफ़ है जो कि उसकी पढ़ाई में पूरा सहयोग प्रदान करते हैं। अहसन रमज़ान के रोज़े भी रखते हैं और पूरी पाबंदी से नमाज़ का एहतेमाम भी करते हैं। हाफ़िज़ मंज़ूर ने नमाज़ में सहयोग प्रदान किया, नमाज़ तरावीह के पूर्ण होने पर हाफ़िज़ मंज़ूर, पिता आरिफ़, मां मुसर्रत, अबरार बच्चन, वसीम रज़ा, मेराज अहमद, फ़रहान, परिवार के सदस्यों के साथ लोगों ने अहसन को बधाई गले लगाकर और फूल-माले पहना कर दिया. बाद नमाज़ तरावीह पूरे मुल्क़ के लोगों के लिये अमन चैन, आपसी सौहार्द और खुशहाली के लिये दुआएं की गईं।

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