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महापंडित राहुल सांकृत्‍यायन बड़े स्वप्‍नद्रष्‍टा थे- रामनगीना

गाजीपुर। महापंडित राहुल सांकृत्यायन के 130वीं जयंती के अवसर पर ‘राहुल सांकृत्यायन का आत्मसंघर्ष एवं आज का समय’ विषय पर विचार-गोष्ठी का आयोजन राहुल सांकृत्यायन विद्यायल, गौसपुर गाजीपुर में हुआ। गोष्ठी की शुरूआत में आधार वक्तव्य देते हुए रामनगीना ने कहा कि आज सांप्रदायिकता की राजनीति का मुकाबला करने के लिए जाति आधारित राजनीति की हिमायत की जा रही है। जातिगत जनगणना की हिमायत की जा रही है लेकिन सांप्रदायिकता की राजनीति का जवाब वर्ग आधारित राजनीति हो सकती है जाति आधारित राजनीति नहीं। राहुल जी एक बड़े स्वप्नद्रष्टा भी थे जिन्होंने 20 वी शताब्दी में 22 वीं शताब्दी का स्वप्न देखा था। इसी क्रम में जयप्रकाश धूमकेतु ने राहुल जी के नाटक ‘मेहरारून की दुर्दशा’ का ज़िक्र करते हुए आधी आबादी के सामने मौजूद उन सवालों और कठिनाइयों का ज़िक्र किया जिनका उन्हें आज भी सामना करना पड़ रहा है।उन्होंने कहा कि हमें राहुल के अंतर्विरोधों की पहचान करके उनके भी आगे बढ़ जाना है स्वयं राहुल ने यह जीवन भर किया। सबसे पहले स्वयं से लड़ो, फिर परिवार से लड़ो, उसके बाद समाज से लड़ो और यह लड़ाई न्याय के लिए होनी चाहिए। राहुल जीवन भर यह लड़ाई लड़ते रहे। महिला डिग्री कॉलेज के आचार्य डा निरंजन यादव जी ने कहा कि किसी समस्या की प्रतिक्रिया देने से श्रेयस्कर है उसका विकल्प देना राहुल जी का साहित्य हिन्दी समाज को विकल्प देता है। राहुल आधुनिक हिन्दी साहित्य के सच्चे पब्लिक इंटेलेक्चुअल हैं। इसके पूर्व ऐसी प्रतिभा कबीर में थी। समाजशास्त्र के प्रोफेसर बालेश्वर विक्रम जी ने राहुल सांकृत्यायन की किताब ‘अकबर’ के हवाले से बताया कि किस तरह राहुल जी का इतिहासबोध जनवादी था। कार्यक्रम में प्रमिला यादव, दिलिप कुमार चौहान बागी, शेषनाथ राय एवं डा फतह अहमद ने भी राहुल विवेक की चर्चा करते हुए  राहुल सांकृत्यायन पर बातचीत करने की आवश्यकता का महत्व बताते हुए इस गोष्ठी के आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। सीपीआई से जुड़े रामबदन सिंह जी ने राहुल जी के एक्टिविस्ट वाले पहलू को उजागर किया और किसान आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका का उल्लेख किया। अमेरिका सिंह यादव जी ने कहा कि वैचारिक गोष्ठियां बौद्धिक अय्याशी के लिए नहीं होनी चाहिए। उनसे कोई कार्यभार निकलना चाहिए और सक्रिय संघर्ष में लगना चाहिए। अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रह चुके श्रीकान्त पाण्डेय जी ने यह बताया कि किस तरह बौद्ध धर्म या महात्मा बुद्ध ने भी जीवन के जिन प्रश्नों को अनुत्तरित छोड़ दिया था राहुल जी ने उनका भी उत्तर तलाशने की कोशिश ।कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रामावतार ने किया।कार्यक्रम का संचालन रामविलास यादव ने किया। इस कार्यक्रम में डॉ इकबाल, सुदर्शन मौर्य चतुरी सिंह यादव ,शिव कुमार प्रजापति, संतोष प्रजापति रमेश सिंह कुशवाहा, प्रियंका यादव, ममता कुमारी अंकेश कुमार मद्धेशिया प्रशांत कुमार मौर्य, इंद्रदेव सिंह कुशवाहा राकेश पासवान आदि उपस्थिति रहे।

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