गाजीपुर। गंगा के तटवर्ती क्षेत्र चकेरी धाम स्थित आदि शक्ति मां दुर्गा मंदिर श्रद्धालुऒ के आस्था का केन्द हॆ।ऎसी मान्यता हॆ जो भी व्यक्ति नवरांत्रि में मां दुर्गा के सामने मत्था टेककर पूजन अर्चन करता हॆ उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती हॆ।नवरांत्री आरम्भ होने से विशेष ब्यवस्था की गयी हॆ। प्राचीन मंदिर के समीप गंगा के किनारे महाभारत कालीन एक पोखरा हॆ जिसमे गंगा का पानी सदॆव चक्कर काटता रहता हॆ।उसका गहराई नापने का कई बार प्रयास किया गया परन्तु पता नही चला जो भी वस्तु डाली जाती हे उसका पता नही चलता हे। दो दशक पूर्व चकेरी धाम उस समय सुर्खियों मे आया जब धाम के महंन्थ संत त्रिवेणी दास जी महाराज ने लम्बे उंचे चॊङे चबूतरे पर बिशाल मंदिर का निर्माण कराकर जयपुर से 9 कुन्तल वजन की संगमरमर की भब्य मूर्ति मंगाकर स्थापित किया।प्रत्येक नवरांत्रि व श्रावण मास मे दर्शन करने के लिए भारी भीङ लगती हॆ। चॆत्र रामनवमी व पुनवासी को विशाल मेला लगता हॆ,जिसमें गाजीपुर जनपद सहित गंगा के दूसरे छोर पर स्थित चंदॊली व वाराणसी के श्रदांलू भक्त भी दर्शन करने लिए नाव से आते हॆ। पास ही मे राम,लक्ष्मण, मां सीता सहित हनुमान का प्राचीन मंदिर हॆ ।विशाल शिव मंदिर मे शिव लिंग की स्थापन करके शिव मंदिर का निर्माण कार्य जारी हॆ।मंदिर के चारों तरफ चहरदिवारी का निर्माण कराया गया हॆ परन्तु गंगा मे बाढ आने से करीब 200 फीट चहरदिवारी गिर जाने से धन के अभाव मे निर्माण नही हो सका।प्रतिवर्ष मंदिर पर दर्जनों शादियां होती हॆ।मॆरेज हाल का निर्माण करके पर्यटक केन्द्र के रुप मे विकसित करके भब्य रुप दिया जा सकता हॆ। धन के अभाव मे उपेक्षित हॆ।गंगा के किनारे होने से इस धाम का विशेष महत्व हॆ ।संत त्रिवेणी दास का कहना हॆ की यह एक सिध्द स्थल हॆ जहां परिसर मे पहुँचते ही सुख,शांति,का अनुभव होता है।
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