शिवकुमार
गाजीपुर। जिले के सियासत में अभिनव सिन्हा का नाम इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। इस नाम से पक्ष और विपक्षियो में भी काफी हलचल है कि महामहीम के पुत्र होने के बावजूद भी वह राजभवन का सुख न लेकर गाजीपुर के गांव-गिरांव, किसानो और दुखियो के दरवाजे पर क्यों घूम रहें है। हर बेसहारा, जरूरतमंदो, बिमारो का आंसू क्यों पोछ रहें है, इस सियासी सवाल का जबाब राजनैतिक पंडित अपने-अपने सियासी दांव पर देख रहें है। इसी में इनके शुभचिंतक एक नई सियासी पारी का संकेत दे रहें है तो दूसरी तरफ विपक्षी इनके पर तरह-तरह का आरोप लगा रहें है। आरोप-प्रत्यारोप का परवाह न करते हुए अभिनव सिन्हा अपने धून में अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिदिन एक-एक कदम चलकर पहुंचना चाहते है, इसके लिए वह गांव के झोपडि़यो के दिन-दुखियो के चौखट से ही अपनी सियासी पाली का शुरूआत कर रहें है। 2019 के लोकसभा चुनाव में मनोज सिन्हा के चुनाव हारने के बाद उनके पुत्र अभिनव सिन्हा ने जो बिड़ला इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बी-टेक करके नौकरी कर रहें थे, नौकरी छोड़कर उन्होने समाजसेवा के रास्ते सियासी जगत में आने का निर्णय लिया। इसके बाद गाजीपुर की जनता से लगातार जनसम्पर्क करते रहें, जरूरतमंदो और पीडि़तो की सहायता करते रहे। इसी बीच पीएम मोदी ने मनोज सिन्हा को जम्मू-काश्मीर का उपराज्यपाल बना दिया। पिता के उपराज्यपाल बनने के बावजूद अभिनव सिन्हा ने राजभवन का सुख-वैभव छोड़कर गाजीपुर के गांव के पगडण्डियो पर चलने का निर्णय लिया और तबसे वह आजतक इसी रास्ते को अपना लिया है। शुक्रवार को सदर विधानसभा के हुसैनपुर गांव के किसानो से भेंटकर उनका हालचाल जाना, करण्डा निवासी दिवंगत सेना के जवान राजू सिंह के घर जाकर परिजनो से मिलकर शोक संवेदना जताई, सोलेमपुर गांव में जनसम्पर्क किया।