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कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कालेज गाजीपुर के तत्‍वावधान में किसान मेला का हुआ आयोजन

गाजीपुर। कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कॉलेज गाजीपुर की ओर से प्राकृतिक खेती को लेकर किसान मेला व जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया | इसका शुभारम्भ मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रकाश गुप्ता, भानु प्रताप सिंह जिला अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी, अजीत कुमार सिंह अपर महाधिवक्ता उत्तर प्रदेश सरकार व अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कॉलेज गाजीपुर डॉ मार्कंडेय सिंह प्रगतिशील किसान गाजीपुर जनपद ने संयुक्त रूप से किया | मुख्य अतिथि ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं | ताकि किसानों को आर्थिक लाभ मिल सके| उन्होंने कहा कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के होने का मुख्य कारण फसलों में कीटनाशक दवा और रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग करना है|  प्राकृतिक खेती करने से किसानों की फसलों में लागत कम होगी और उनके जहां कृषि उत्पाद महंगे बिकने से उनकी आमदनी भी ज्यादा होगी| केंद्र के अध्यक्ष व् उत्तर प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता अजित कुमार सिंह ने आग्रह किया कि ” किसानों को प्राकृतिक खेती को अपनाना चाहिए और अपने कृषि खर्च को कम करने, मिट्टी के स्वास्थय को बनाये रखने तथा फसल उत्पादकता एवं उनसे प्राप्त लाभ को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए | साथ ही साथ श्री सिंह ने किसानों से आग्रह किया कि कृषि विज्ञान केंद्र से कृषि सम्बन्धी जानकारी अधिक से अधिक प्राप्त कर फसल उत्पादकता एवं उनसे प्राप्त लाभ को बढ़ाने पर ध्यान दें | इस अवसर पर आये हुए मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी और जनपद के अधिकारियों, किसानों का आभार व्यक्त किया | इस अवसर पर गाजीपुर जनपद के प्रगतिशील कृषक डॉ मार्कंडेय सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कॉलेज गाजीपुर के संस्थापक एवं गाजीपुर के मालवीय कहे जाने वाले स्वर्गीय राजेश्वर प्रसाद सिंह के कार्यों को याद किया और यह कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र पूरे जनपद के गांव गांव जाकर किसानों को कृषि की नवीनतम तकनीकों से जानकारी उपलब्ध करा रहा है इसके लिए केंद्र के कार्यों की सराहना की | मौके पर जिला उद्यान अधिकारी डॉ शैलेन्द्र दुबे, केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ विनोद कुमार सिंह, मृदा वैज्ञानिक डॉ धर्मेंद्र कुमार सिंह, सस्य वैज्ञानिक डॉ. शिव कुमार सिंह, पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ ओमकार सिंह ने प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तार से किसानों को समझाया | तकनीकी सत्र के दौरान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है | यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है |  प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं, उन्ही को खेती में कीटनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है | प्राकृतिक खेती हेतु गाय से प्राप्त गोबर और गोमूत्र को 200 लीटर के ड्रम में 170 लीटर पानी में मिलाकर रखना है डेढ़ से दो किलोग्राम गुड़ और इतना ही बेसन मिलाना है | सुबह और शाम इसे लकड़ी से घुमाना है |  4 दिन में जीवामृत तैयार हो जाएगा | सिंचाई के साथ इसका छिड़काव करें |  यह यूरिया का काम करेगा इस तरह बीजामृत  तैयार होता है| इससे बीजों को शुद्ध किया जाता है और खेतों में डालने पर यह डीएपी का काम करता है | खेतों में खाली स्थान को ढकना भी चाहिए | इससे नमी बनी रहेगी और पानी कम लगेगा | प्राकृतिक खेती में कीटनाशकों के रूप में गोबर की खाद, कंपोस्ट,  जीवाणु खाद, फसल अवशेष और प्रकृति में में उपलब्ध खनिज जैसे -राक फास्फेट, जिप्सम आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं | प्राकृतिक खेती में प्रकृति में उपलब्ध जीवाणुओं, मित्र कीट और जैविक कीटनाशक द्वारा फसल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जाता है | किसान मेला के दौरान विभिन्न विभागों द्वारा कुल 10 स्टाल लगाए गए इस अवसर पर महिला किसानों को लेकर 500 किसानों की उपस्थिति रही है।इस अवसर पर डॉ किरण सिंह, डॉ अशोक कुमार सिंह राणा प्रताप सिंह, आशीष कुमार बाजपेयी,  डॉ प्रमोद कुमार सिंह, आशुतोष सिंह, कपिल देव शर्मा, मनोरमा आदि उपस्थित रहे |

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