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मुहम्मदाबाद गुरुद्वारे में 553वें प्रकाश वर्ष पर हुआ भजन-कीर्तन

गाजीपुर। मुहम्मदाबाद नगर स्थित गुरुद्वारा में गुरु नानक देव की जयंती को 553वें प्रकाश पर्व के रूप में मनाया गया। शाम को सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारा पहुंचे। यहां ग्रंथी के साथ श्रद्धालुओं ने शबद पाठ, कीर्तन, भजन के माध्यम से गुरु नानक देव की महिमा का बखान किया। इस दौरान यहां श्रद्धा व आस्था का जबरदस्त संगम दिखा। नगर गुरुद्वारा में विधायक सुहैब अंसारी व समाजसेवी मीरा ने श्रद्धालुओं के साथ मत्था टेका। विधायक सुहैब मन्नू अंसारी ने कहा कि गुरु नानक देव समतामूलक समाज के हितैषी थे। गुरु ने ऊंच-नीच, जाति-पाति व भेदभाव का विरोध किया। लोगों को आपसी प्रेम व भाईचारे का संदेश दिया। उनके बताये मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। उनके आदर्श को जीवन में आत्मसात करना चाहिए। गुरुद्वारा में आयोजित शबद  कीर्तन में हरियाणा से पधारे भाई स्वर्ण सिंह जगाधरी वाले ,भाई दलविंदर सिंह एवं भाई प्रभुजोत सिंह ने  रात 8 बजे शुरू किया। शबद कीर्तन के माध्यम से उन्होंने गुरु की महिमा का बखान किया। जिससे सुनकर पूरी संगत निहाल होती रही।नर और नारी को एक समान मानने वाले गुरु जी गुरु नानक देव के शबद कीर्तन आयोजन में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं एवं बालिकाओं ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया सिख धर्मावलंबियों के अलावा हिंदू मुस्लिम धर्मावलंबी भी इस गुरुद्वारे में शब्द कीर्तन में उपस्थित रहे कार्यक्रम के अंत में लंगर का आयोजन किया गया जिसमें ऊंच-नीच का भेद मिटाकर स्त्री पुरुष सभी ने साथ में लंगर चखा गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष सतनाम  सिंह ने गुरु नानक देव की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरु नानक देव मानवता के सचिव पुजारी थे उनके उपदेशों को उनकी वाणी में संकलित किया गया है और आज उसी का शब्द कीर्तन के माध्यम से गायन किया गया था उनकी शिक्षाओं पर चलने का संकल्प लिया गया इस अवसर पर गुरुद्वारे को विशेष रूप से सजाया गया था। सतनाम सिंह ने विस्तार में चर्चा करते हुए बताया कि  गुरु नानक देव जी महाराज सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु थे। उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 में गांव तलवंडी में हुआ था। कार्तिक पूर्णिमा को गुरुनानक देव जी का जन्म होने के कारण ही सिख धर्म को मानने वाले इस दिन को प्रकाश उत्सव या गुरु पर्व के रूप में मनाते हैं। गुरु नानक देव ने हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मो के विचारों को सम्मिलित करके एक नए धर्म की स्थापना की, जो बाद में सिख धर्म के नाम से जाना गया। सेवा से बड़ा और कोई दूसरा धर्म नहीं होता। यही सिख धर्म का मूल आधार है। प्रकाश पर्व को लेकर गुरुद्वारा को बिजली के रंगीन बल्ब से सजाया गया। बिजली के रंगीन बल्ब की रोशनी में गुरुद्वारा नहा उठा। कार्यक्रम के अंत मे लोगो ने लंगर छका।इस मौके पर गुरुद्वारा परिसर में दशमेश सेवा सेवा सोसाइटी की ओर से सुहैब उर्फ मन्नू अंसारी राजेश राय पिंटू,संतोष शर्मा,प्रदीप वर्मा दीपू,दीपू गुप्ता,समाजसेविका मीरा राय,श्रीराम राय,अवनीश राय,अजय यादव,शेषनाथ गुप्ता आनन्द कुमार त्रिपाठी,गोपाल सिंह यादव, आदि को अंगवस्त्रम भेंटकर सम्मानित किया गया।इस अवसर पर हरजीत सिंह बिल्लू,त्रिलोचन सिंह,नरजीत सिंह,हरभजन सिंह,गुरुचरन सिंह,जसविंदर सिंह ,राजेंद्र सिंह पिंटू,देवेंद्र कौर,इंद्रजीत कौर,मनिन्दर कौर,बलजीत सिंह‌ , वीरेंद्र यादव आदि शामिल रहे।

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