गाजीपुर। उप कृषि निदेशक गाजीपुर ने समस्त किसान भाइयों को बताया है कि फसलों को प्रतिवर्ष खर-पतवारो रोगों तथा कीटो से अनुमानतः 15 से 20 प्रतिशत क्षति होती है। खर-पतवारो के बाद सबसे अधिक क्षति रोगों से होती है। कभी-कभी रोग महामारी का रूप ले लेते हैं और शत-प्रतिशत फसल नष्ट हो जाती है। फसलों में रोग बीज, मृदा, वायु, जल एवं कीटों के द्वारा फैलते है। बीज जनित/भूमि जनित रोगों से बचाव हेतु खरीफ 2025 में बोयी जाने वाली फसलों में बीजशोधन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। बीजशोधन द्वारा फसलो को रोगों से सुरक्षित कर अधिक पैदावार ली जा सकती है। जिससे कृषको की आय दोगुनी करने व उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ करने में मदद मिलेगी । बीजशोधन के प्रति कृषको में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से खरीफ 2025 की प्रमुख फसलों में शत-प्रतिशत बीजशोधन करने हेतु दिनांक 25 मई 2025 से 25 जून 2025 तक इस कार्य को अभियान के रूप में चलाया जा रहा है। इसके अर्न्तगत कृषको को बीजशोधन के महत्व की जानकारी देकर कृषको को प्रशिक्षित किया जायेगा, तथा बीजशोधक रसायनो की जानकारी दी जायेगी। किसान भाइयों अपने धान की फसल की नर्सरी डालने से पूर्व धान के बीजों को शोधित करना नितान्त जरूरी है। बीजशोधक रसायनों में कार्बेन्डाजिम 50 प्रति०डब्ल्यू०पी० की 2 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से शोधित करने पर धान की फसल को कण्डुआ रोग (लेढ़ा रोग) से बचाव किया जा सकता है। थिरम 75 प्रति० डब्ल्यू०एस० रसायन की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज शोधित करने पर धान की फसल को पत्ती धब्बा रोग से बचाव किया जा सकता है। थिरम 75 प्रति० डब्ल्यू०एस० $ कार्बेन्डाजिम 50 प्रति०डब्ल्यू०पी० रसायन (2ः1) 3 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज शोधित करने पर मूँग एवं उर्द में पत्ती धब्बा रोग और जड सडन एवं उकठा से बचाव किया जा सकता है। अरहर की फसल में उकठा रोग के बचाव के लिए 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा बीज की दर से बीजशोधन करना चाहिए।गाजीपुर 26 मई, 2025 (सू0वि0) – उप कृषि निदेशक गाजीपुर ने समस्त किसान भाइयों को बताया है कि फसलों को प्रतिवर्ष खर-पतवारो रोगों तथा कीटो से अनुमानतः 15 से 20 प्रतिशत क्षति होती है। खर-पतवारो के बाद सबसे अधिक क्षति रोगों से होती है। कभी-कभी रोग महामारी का रूप ले लेते हैं और शत-प्रतिशत फसल नष्ट हो जाती है। फसलों में रोग बीज, मृदा, वायु, जल एवं कीटों के द्वारा फैलते है। बीज जनित/भूमि जनित रोगों से बचाव हेतु खरीफ 2025 में बोयी जाने वाली फसलों में बीजशोधन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। बीजशोधन द्वारा फसलो को रोगों से सुरक्षित कर अधिक पैदावार ली जा सकती है। जिससे कृषको की आय दोगुनी करने व उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ करने में मदद मिलेगी । बीजशोधन के प्रति कृषको में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से खरीफ 2025 की प्रमुख फसलों में शत-प्रतिशत बीजशोधन करने हेतु दिनांक 25 मई 2025 से 25 जून 2025 तक इस कार्य को अभियान के रूप में चलाया जा रहा है। इसके अर्न्तगत कृषको को बीजशोधन के महत्व की जानकारी देकर कृषको को प्रशिक्षित किया जायेगा, तथा बीजशोधक रसायनो की जानकारी दी जायेगी। किसान भाइयों अपने धान की फसल की नर्सरी डालने से पूर्व धान के बीजों को शोधित करना नितान्त जरूरी है। बीजशोधक रसायनों में कार्बेन्डाजिम 50 प्रति०डब्ल्यू०पी० की 2 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से शोधित करने पर धान की फसल को कण्डुआ रोग (लेढ़ा रोग) से बचाव किया जा सकता है। थिरम 75 प्रति० डब्ल्यू०एस० रसायन की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज शोधित करने पर धान की फसल को पत्ती धब्बा रोग से बचाव किया जा सकता है। थिरम 75 प्रति० डब्ल्यू०एस० $ कार्बेन्डाजिम 50 प्रति०डब्ल्यू०पी० रसायन (2ः1) 3 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज शोधित करने पर मूँग एवं उर्द में पत्ती धब्बा रोग और जड सडन एवं उकठा से बचाव किया जा सकता है। अरहर की फसल में उकठा रोग के बचाव के लिए 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा बीज की दर से बीजशोधन करना चाहिए।
