गाजीपुर। कुशवाहा महासभा के तत्वावधान मे तहसील कार्यालय सैदपुर पर महात्मा ज्योति राव फूले जयन्ती समारोह धुमधाम के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के आरम्भ मे चित्र के सामने दीप प्रज्वलन व माल्यापर्ण करकॆ किया गया।इस अवसर पर संबोधित करते हुए सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेश कुशवाहा ने कहा समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फूले का जन्म उस समय हुआ था जब देश व समाज मे ऊंच, नीच, जाति, पांति, अंधविश्वास, सामाजिक कुरुतियां, रूढिवादिता चरम सीमा पर थी। महात्मा ज्योति राव फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में शूद्र वर्ण की ‘माली’ जाति में हुआ था। श्री कुशवाहा ने कहा उस समय न तो शिक्षा प्राप्त करने की आजादी थी और न अपनी मर्जी का पेशा चुनने की।वर्ष 1840 में उनका विवाह मात्र 9 वर्ष की सावित्रीबाई फुले से हुआ। वे पढ़ना चाहती थीं। परंतु उन दिनों लड़कियों को पढ़ाने का चलन नहीं था। शिक्षा के प्रति पत्नी की ललक देख विरोध के बावजूद उन्हें पढ़ाया। तीन वर्ष मे 18 स्कूलो की स्थापना किया। कुशवाहा महासभा के पूर्व जिला अध्यक्ष देवनाथ कुशवाहा ने कहा 28 नवम्बर, 1890 को महात्मा ज्योतिराव फुले ने अंतिम श्वांस लेते हुए नश्वर शरीर का परित्याग कर दिया।डॉ० अम्बेडकर ने उन्हें अपना गुरु मानते हुए कहा हैं कि यदि इस धरती पर महात्मा फुले जन्म नही लेते तो अम्बेडकर का भी निर्माण नही होता।इस अवसर पर नरेन्द्र कुमार मॊर्य, पूर्व सभासद राजेश कुशवाहा, रामनरेश कुशवाहा, अवधेश,प्रमोद , बबलू, सुरेन्द्र ,रामलाल, हंसराज व डा० संजय कुशवाहा , राजपति, रामकिशुन व भुवनेश्वर एडवोकेट, चन्द्रशेखर कुशवाहा, डा० शिवकुमार , डा० संतोष , कृपाशंकर कुशवाहा आदि लोग मॊजूद थे। संचालन अशोक कुशवाहा ने किया।
