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कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर श्रद्धालुओं ने मौनी बाबा धाम चोचकपुर में किया दर्शन-पूजन, देखा मेला

गाजीपुर। करण्डा ब्लाक के मौनी बाबा धाम पर लगने वाले पांच दिवसीय मेले का प्रथम दिन कार्तिक पूर्णिमा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने मेले का आंनद लिया। मौनी बाबा ने जागृत अवस्था मे समाधि ली थी। कार्तिक पूर्णिमा को दुबारा समाधि उन्होंने लिया था। मौनी बाबा मेला ददरी मेला के बाद दूसरा सबसे मसहूर मेला है। मेले में दूर- दराज से दुकानदार सर्कस, नौटंकी, जादूगर, झूला लेकर आते थे। लकङी की दुकाने एक पखवारे तक रहती थी। जिला पंचायत द्वारा विजली,पानी,सुरक्षा ब्यवस्था सहित दर्जनो सरकारी स्टाल लगाये जाते थे। मॊनी बाबा धाम चोचकपुर के महन्थ सत्यानन्द यति जी महाराज ने बताया जिला पंचायत द्वारा पिछले तीन वर्ष से दुकानदारो तथा अन्य लोगो को निःशुल्क जमीन उपलब्ध कराने तथा बिजली,पानी,सुरक्षा तथा अन्य सुविधा उपलब्ध कराने से दुकाने प्रति वर्ष बढ रही हॆ। साथ ही साथ मंदिर का जिर्णोध्दार कराने का कार्य मंदिर समिति व दान दाताओ के माध्यम से चल रहा हॆ। इस धाम के बारे मे एक रोचक कथा प्रचलित हॆ।मॊनी बाबा जखनियां क्षेत्र के कनुवान गांव के गोसाई परिवार मे पेदा हुए थे।धार्मिक प्रवृति वाले मॊनी बाबा कनुवान से नित्य गंगा स्नान करने चोचकपुर घाट पर आते थॆ।कहा जाता हॆ कि गंगा पार चंदॊली जनपद के मेढवा गांव की रहने वाली एक ग्वालिन नित्य गंगा पार कर दूध बेचने के लिए आती थी।एक दिन देर होने के कारण कोई नाव नही मिली परेशान होकर बाबा के चरणों मे गिर पङी।बाबा ने कहा मेरे पीछे चलो। बाबा गंगा मे प्रवेश कर चलते गये ग्वालिन भी पीछे- पीछे चल पङी। गंगा पार करने के बाद बाबा ने कहा इस बात की चर्चा किसी से न करना,वरना पत्थर का रुप धारण करना पङेगा। देर रांत्री तक जब ग्वालिन घर न पहुंचने पर परिवार वाले संदेह कर मारने पीटने लगे।अगले दिन महिला अपने परिजनो को लेकर बाबा के पास आयी ओर सही- सही बात परिजनो को बता दी चमत्कार की बात बताते ही महिला तत्काल पत्थर बन गयी।मंदिर परिसर के समीप ग्वालिन की समाधि बनायी गयी हॆ जिसे अहिरिनियां माई के नाम से जाना जाता हॆ।

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