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तिलहन के फसलों का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करें किसान- जिला पंचायत अध्य‍क्ष सपना सिंह

गाजीपुर। प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फॉर इंस्‍टीट्यूट मैनेजमेन्ट ऑफ क्राप रेज्ड्यू योजनान्तर्गत जनपद स्तरीय एक दिवसीय कृषक गोष्ठी का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र पी०जी० कालेज गाजीपुर के प्रांगण में जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गयी। कार्यक्रम में जनपद से भारी संख्या में कृषको द्वारा प्रतिभाग किया गया। सपना सिंह द्वारा बताया गया कि गत कुछ वर्षों में खाद्य तेलों के दामों में काफी तेजी देखी जा रही है। देश में खाद्य तेलो की मांग काफी रहती है जबकि उत्पादन कम है। देश में तिलहन का रकबा बढ़ाने के लिये सरकार काफी तत्पर है। इसी क्रम मे सरकार द्वारा किसानों को अनुदान पर तिलहन के बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। किसानों में निःशुल्क मिनिकीट का वितरण भी कराया जा रहा है। जिससे जनपद में तिलहन की रकबा बढ़ा कर उत्पादन बढाया जा सके और खाद्य तेलो के लिये दूसरे देशो पर निर्भरता कम हो सके। तिलहन उत्पादन से जनपद के किसानो के आय में भी वृद्धि होगी। इस कार्यक्रम में श्रीमती सपना सिंह द्वारा 500 कृषकों को उन्नतशील सरसों बीज के मिनिकीट का भी वितरण किया गया। पराली जलायी तो होगा जुर्माना पराली जलाने से पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है पराली से निकलने वाले हानिकारक धुएं से स्वास्थ्य से सम्बन्धित बीमारिया बच्चों व बुजुर्गाे मे काफी बढ़ रही है। इसलिये पराली जलाने पर एन०जी०टी० एवं सरकार द्वारा कड़े कदम उठाते हुये जुर्माने का प्राविधान किया गया है। दो एकड़ से कम क्षेत्र के लिये रू0 1500 प्रति घटना, दो एकड से पाँच एकड कम क्षेत्र के लिये रू0 5000 प्रति घटना एवं पाँच एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिये रू0 15000 प्रति घटना निर्धारित की गयी है। अपराध की पुनरावृत्ति करने पर कारावास एवं अर्थ दण्ड से दण्डित किया जायेगा। कृषि वैज्ञानिक डा० वी०के० सिंह, डा० जेपी सिंह, डा शिवकुमार सिंह, डा० धर्मेन्द्र सिंह, डा० ओमकार सिंह द्वारा किसानो को बताया कि पराली में पोषक तत्वो की भरपूर मात्रा उपलब्ध होती है। इसका प्रबन्धन करके इसको उच्च गुणवत्तायुक्त खाद मे बदला जा सकता है। पराली को खेत में ही किस प्रकार प्रबन्ध करके कार्बनिक खाद में बदला जा सकता है। उसके विभिन्न तरीको को वैज्ञानिको द्वारा बताया गया। उप कृषि निदेशक गाजीपुर द्वारा बताया गया कि किसान पराली को कदापि न जलाये बल्कि कृषि विभाग द्वारा अनुदान पर उपलब्ध कराये गये कृषि यन्त्रो की मदद से इसका खाद तैयार करें। खाद तैयार के लिये विभाग द्वारा निः शुल्क डिकम्पोजर का प्रयोग करे जिससे पराली कम समय मे सडकर खाद मे परिवर्तित हो जाते है।

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